महाराष्ट्र

बिल्लियां बनी स्टेटस सिम्बॉल, लोगों में पालने का बढा क्रेज

नागपुर में 25 हजार से अधिक विविध प्रजातियों की बिल्लियां !

नागपुर/दि.8– पहले के लोग अपने अनाज का नुकसान चूहों से बचाने के लिए बिल्लियां पाला करते थे. बिल्लियों के घरों में होने से चूहें नहीं आते. किंतु अब अनाज की सुरक्षा के लिए नहीं बल्कि स्टेटस सिम्बॉल के तौर पर बिल्लियां पाली जा रही है. पशु चिकित्सकों का कहना है कि पालतू प्राणियों में अब श्वान की बजाय बिल्लीयों का क्रेज बढा है.
विशेषज्ञों द्बारा दी गई जानकारी के अनुसार अमेरिका की एक अंतर्राष्ट्रीय परिषद में बिल्लियों को लेकर एक संशोधन किया गया. संशोधन में पाया गया कि बिल्ली पालनेवाले लोगों को हार्ट अटैक का धोखा कम रहता है. इसके अलावा घरों में चिंता का स्तर भी कम रहता है, ऐसा संशोधन 10 वर्ष का अभ्यास कर प्रस्तुत किया गया. देशभर में बिल्लियों की 60 से अधिक प्रजातिया हैं. नागपुर में पर्शीयन, ब्रिटिश शॉर्ट हेअर, सयामील, बेंगाल, हिमालीयन, सिलोन, बर्मीज, मेनकुन, रगडॉल, अमेरिकन इन प्रजातियों की 25 हजार से अधिक बिल्लिया है.
बिल्लियां स्वच्छता का प्रतीक है. कारण की बिल्लियां दिन में 12 से 13 घंटे अपने शरीर को स्वयं चाटकर स्वच्छ करती है. अब अपार्टमेंट में रहनेवाले लोगों का आकर्षण श्वान की बजाय बिल्लियों की ओर ज्यादा बढता दिखाई दे रहा है. क्योंकि बिल्लियों को रहने के लिए जगह कम लगती है और उसको खाना भी कम लगता है और उसका वजन साधारणत: दो से चार किलो रहता है. जिसमें उसे उठाकर लाना ले जाना सहज होता है. उसे पालने का भी खर्च कम होता है. बिल्लियां शांत रहती है. उसके उपचार का खर्च भी कम रहता है. मुस्लिम कम्युनिटी में बिल्ली पालने को शुभ माना जाता है.

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