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सीबीआय ने फिर खोली 20 हजार करोड के 101 बैंक घोटालों की फाईल

शिंदे-फडणवीस सरकार ने दी सहमति

* महाविकास आघाडी ने रूकवायी थी जांच
* अधिकांश मामले मविआ के नेताओं से संबंधित
मुंबई/दि.3- राज्य की तत्कालीन महाविकास आघाडी सरकार ने राज्य में बैंकिंग घोटाले से संबंधित जांच करने के लिए सीबीआई को अनुमति देने से इन्कार कर दिया था. जिसके चलते ऐसे मामलों की जांच ठंडे बस्ते में पडी थी. लेकिन अब इन घोटालों से संबंधित फाईलों को नये सिरे से खोला जा रहा है. शिंदे-फडणवीस सरकार द्वारा इस संदर्भ में सीबीआई को अनुमति दे दिये जाने के चलते राष्ट्रीयकृत बैंकों सहित निजी, सहकारी व कुछ एनबीएफसी के 20 हजार करोड रूपये के घोटालेवाले 101 मामलों की नये सिरे से जांच शुरू की गई है. इसमें से कई मामले महाविकास आघाडी के नेेताओं से संबंधित रहने के चलते अब इसे लेकर राजनीति गरमाने के पूरे आसार है.
राज्य में बैंकिंग घोटाले की जांच करने हेतु तत्कालीन फडणवीस सरकार ने सीबीआय को सर्वसाधारण सहमति दी थी. जिसके बाद महाविकास आघाडी सरकार ने सीबीआई को दी गई जनरल कंसेंट यानी सर्वसाधारण सहमति को पीछे ले लिया. जिसके चलते सीबीआई द्वारा राज्य के विविध बैंकिंग घोटालों की जांच नहीं की जा सकी. वहीं चार माह पूर्व सत्ता में आयी शिंदे-फडणवीस सरकार ने 21 अक्तूबर को एक बार फिर बैंकिंग घोटालों की जांच करने हेतु सीबीआई को अनुमति दी है. जिसके चलते सबसे पहले बैंकिंग घोटालों से संबंधित फाईलें खोलने की शुरूआत हुई. राज्य में कुल 101 मामलों में 20 हजार 313 करोड 53 लाख रूपये के घोटाले होने का संदेह है.

* सालभर में एक भी अपराध दर्ज नहीं
सीबीआई को अलग-अलग तरह की जांच के लिए दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम की धारा 6 के अनुसार राज्य सरकार की विशेष अनुमति या सर्वसाधारण सहमति की जरूरत होती है. इसी नियम का फायदा उठाते हुए महाविकास आघाडी सरकार ने सीबीआई को पहले दी गई सर्वसाधारण सहमति वापिस ले ली. ऐसे में बैंकिंग घोटाले की जांच रूक जाने के चलते विगत एक वर्ष के दौरान सीबीआई की मुंबई शाखा में एक भी अपराध दर्ज नहीं हो सका था. यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, उस समय महाराष्ट्र सहित भाजपा विरोधी दलों की सत्ता रहनेवाले 9 राज्यों में सीबीआई को जांच हेतु सहमति देने से इन्कार कर दिया था.

* विशेष अनुमति की जरूरत नहीं
इस संदर्भ में सीबीआई के जनसंपर्क अधिकारी आर. सी. जोशी ने बताया कि, सभी मामलों में जांच के बाद अपराध दर्ज किये जायेंगे. अपराध दर्ज होने तक पूरी गोपनियता का पालन करना पडता है. ऐसे में किस बैंक के कितने मामले किस व्यक्ति के साथ जुडे हुए है, यह फिलहाल बताया नहीं जा सकता. चूंकि इन मामलों की जांच के लिए राज्य सरकार द्वारा सर्वसाधारण सहमति दी जा चुकी है. ऐसे में अलग से विशेष सहमति निकालने की कोई जरूरत नहीं है.

* राष्ट्रीयकृत बैंकों के बडे आंकडे
– बैंक ऑफ बडौदा – 739 करोड रूपये
(ईएमआय ट्रान्समीशन लिमिटेड से संबंधित व्यवहार)
– पंजाब नैशनल बैंक – 1,107 करोड रूपये
– स्टेट बैंक ऑफ इंडिया – 443 करोड रूपये
(अजय पीटर केलकर से संबंधीत व्यवहार)
– यूनियन बैंक ऑफ इंडिया – 448 करोड रूपये
(सिक्कीम फेरो कंपनी से संबंधीत व्यवहार)
– यस बैंक – 560 करोड रूपये
(आयएलएफएस ट्रान्सपोर्ट कंपनी से संबंधीत व्यवहार)

* बैंकों ने ही की शिकायत
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, बैंक ऑफ बडौदा ने 11 जनवरी 2021 को, पंजाब नैशनल बैंक ने 8 दिसंबर 2020 को, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने 30 मार्च 2021 को, यूनियन बैंक ने 13 अगस्त 2021 को तथा यस बैंक ने 8 सितंबर 2021 को सीबीआई के नाम पत्र जारी करते हुए घोटालों का विस्तृत ब्यौरा दिया था, लेकिन सर्वसाधारण सहमति के अभाव में इन घोटालोें की जांच नहीं हो पायी थी.

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