महाराष्ट्र

गंभीर बीमारी बाबत केंद्र सरकार का नियोजन नाममात्र

बीमारी का उल्लेख न होने से स्वयंसेवी संस्थाओं का सीधा सवाल

पुणे/दि.5 – गंभीर बीमारियों बाबत केंद्र सरकार ने हाल ही में राष्ट्रीय नियोजन(नेशनल पॉलिसी फॉर रेअर डिसिजेस 2021) की घोषणा की. लेकिन इस नियोजन में गंभीर बीमारियों का उल्लेख ही नहीं होने की बात स्पष्ट दिखाई दी है. बामारी का उल्लेख ही नहीं होने के कारण इस नियोजन का उपयोग क्या,ऐसा सीधा सवाल गंभीर बीमारी बाबत काम करने वाली स्वयंसेवी संस्थाओं व्दारा उपस्थित किया गया है. 5 केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याणमंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने देश के गंभीर बीमारी बाबत का नियोजन हाल ही में घोषित किया. लेकिन इस नियोजन की घोषणा करते समय गंभीर बीमारी यानि क्या? इस बारे में किसी भी प्रकार का स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया. इस कारण नियोजन यह नियोजन अपने लिये उपयुक्त है या नहीं, यह मरीजों को कैसे पता चलेगा, ऐसा सवाल ऑर्गनायजेशन ऑफ रेअर डिसिजेस इंडिया ने उपस्थित किया है.
ऑर्गनायजेशन ऑफ रेअर डिसिजेस इंडिया के सहसंस्थापक प्रसन्न शिरोल ने कहा कि 2017 में गंभीर बीमारियों बाबत अत्यंत आदर्शन नियोजन तैयार किया गया था. 2017 के नियोजन है, इस बारे में अमल में लाया गया फिर भी वह उपयुक्त साबित हुआ होता, उसे अमल में न लाये जाने के कारण हमने न्यायालय में दौड़ लगाई. लेकिन 2018 में नया नियोजन आया. इस बार फिर से नया नियोजन सरकार व्दारा प्रसिध्द किये जाने के कारण गंभीर बीमारी होती है, इस बारे में एक प्रकार से सरकार ने स्वीकार किया, ऐसा हम मानते हैं. इस कारण नियोजन का स्वागत, मात्र यह नियोजन निरुपयोगी है. गंभीर बीमारियों की व्याख्या ही निश्चित नहीं, इस कारण नियोजन का लाभ मरीज या परिवार को मिलेगा क्या, यह प्रश्न निर्माण हुआ है.
गंभीर बीमारियों से ग्रसित पहले चरण के मरीजों को सरकारी उपचार के लिये आर्थिक संरक्षण दिया गया है, मात्र, अधिकांश सरकारी अस्पतालों में यह उपचार न होने के कारण उसका लाभ मरीजों को मिलना असंभव है. दूसरे गट के मरीजों के उपचार की जिम्मेदारी राज्य सरकार पर थोपी गई है. इस कारण इस ओर केंद्र ने दुर्लक्ष किया है. तीसरे गट के मरीजों को दीर्घकालीन, अनेक बार उम्रभर, महंगे उपचार की जरुरत होती है, मात्र इसके लिये किसी भी प्रकार की योजना न हीं, इस कारण यह नियोजन होकर भी नहीं के समान है. ऐसा शिरोल ने स्पष्ट किया.

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