महाराष्ट्रविदर्भ

केन्द्र सरकार ने लाइसेंसी बंदूक धारको पर कसी लगाम

मामला पहुंचा हाईकोर्ट , याचिकाकर्ता को मिली अंतरिम राहत

प्रतिनिधि/दि.२२
नागपुर-बॉम्बे हाईकोर्ट नागपुर खंडपीठ ने चार्टेड एकाऊंटेंट और नागपुर डिस्ट्रिक्ट राईफल एसोसिएशन के सदस्य मोहम्मद अरिशुद्दीन को राहत प्रदान की है. हाईकोर्ट ने गृहमंत्रालय के अतिरिक्त मुख्य सचिव के ७ जुलाई के उस आदेश पर अंतरिम स्थगन लगाया है. जिसमेंं मंत्रालय ने याचिकाकर्ता को उनकी बंदूक ७ दिन में बेचने के आदेश दिए थे. दरअसल यह सारा विवाद वर्ष २०१९ में ऑम्र्स एक्ट में हुए संशोधन के बाद हुआ. जिसके तहत केन्द्र सरकार ने शूटिंग स्पोर्ट प्रेमियों को बंदूके रखने की छूट में कटौती कर दी है. राईफल क्लब के सदस्यों को भी नाममात्र छूट ही मिली.
जिस पर आपत्ति लेते याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की. हाल ही में हुई सुनवाई में याचिकाकर्ता का पक्ष सुनकर हाईकोर्ट ने प्रतिवादी केन्द्र सरकार, अटर्नी जनरल,प्रदेश गृह मंत्रालय,नागपुर पुलिस आयुक्त को नोटिस जारी कर ४ सप्ताह में जवाब मांगा है. याचिकाकर्ता की ओर से . फिरदोस मिर्जा ने पक्ष रखा.
याचिकाकर्ता के अनुसार उन्हें शूटिंग स्पोर्ट में काफी रूचि है और विविध शूटिंग प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने के लिए उन्होंने लाइसेंसी बंदूके खरीद रखी है. इसमें ०.३२ बोर की पिस्टल,३०.०६ बोर की राइफल और ०.२२ बोर की रिवॉल्वर शामिल है. वर्ष २०१९ तक आम्र्स एक्ट १९५९ सेक्शन ३ के अनुसार एक व्यक्ति को अधिकतम ३ बंदूके रखने की अनुमति थी, राइफल क्लब के सदस्यों को अतिरिक्त राहत थी. लेकिन फिर २०१९ में केन्द्र सरकार ने इस अधिनियम में संशोधन करके यह फरमान जारी कर दिया कि एक व्यक्ति अधिकतम २ लाइसेंसी बंदूकें ही रख सकता है. अतिरिक्त बंदूक उसे बेचनी या नजदीकी पुलिस थाने में जमा करानी होगी. इसमें राइफल क्लब या एसोसिएशन के सदस्यों को सिर्फ इतनी छूट मिली कि वे चाहे तो टार्गेट प्रॅक्टीस के लिए ०.२२ बोर की एक बंदूक रख सकते है. अन्य बोर की बंदूको से प्रैक्टिस करनेवालों की छूट खत्म कर दी गई. इसी संशोधन के तहत ७ जुलाई को गृह मंत्रालय की ओर से उन्हें अपनी एक अतिरिक्त बंदूक बेचने के आदेश जारी हुए. उन्होंने इस संबंध में पुलिस आयुक्त को निवेदन भी सौंपा पर कोई हल नहीं निकला. जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट की शरण ली हैे.

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