महाराष्ट्र

नए साल में राज्य में लागू हो जाएंगे केंद्र सरकार के नए श्रम कानून

कैबिनेट में समीक्षा से आगे नहीं बढ सका राज्य सरकार का विरोध

मुंबई/दि.2 – केंद्र सरकार के नए श्रम कानूनों के कुछ प्रावधानों पर भले ही राज्य सरकार को ऐतराज हो पर नए साल में ये श्रम कानून राज्य में लागू हो जाएंगे. श्रम कानूनों में संशोधन के बाद राज्य सरकार के 6 कानून समाप्त कर दिए गए है. राज्य के श्रम विभाग के सूत्रों के अनुसार जनवरी माह में केंद्र सरकार नए श्रम कानूनों को लागू करने के लिए अधिसूचना जारी करेगा. उसके बाद राज्य में भी नए श्रम कानून लागू हो जाएंगे.
बीते 7 अक्टूबर को राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में केंद्र के नए श्रम कानून की जानकारी विस्तार से पेश की गई थी. नए श्रम कानून की जानकारी विस्तार से पेश की गई थी. नए श्रम कानूनों के कई प्रावधानों पर राज्य के श्रम विभाग को भी ऐतराज है. राज्य सरकार में शामिल कांग्रेस नए श्रम कानूनों का विरोध कर रही हैं. पर अब तक श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ राज्य सरकार की बैठक के अलावा इस संबंध में कुछ नहीं हो सका है. श्रम विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि, जनवरी 2021 में नए श्रम कानूनों को लागू करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से अधिसूचना जारी होने वाली है. इसके बाद राज्य में भी नए श्रम कानून स्वत: लागू हो जाएंगे.
दरअसल, केंद्र सरकार ने 29 श्रम कानून को एकत्र कर चार संहिता तैयार की है. श्रम विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि, इसमें से कई कानून श्रमिकों के हित में नहीं है. औद्योगिक संबंध संहिता के तहत औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 को समाप्त कर दिया गया है. अब तक 100 या उससे अधिक कामगारों वाले आद्योगों को बंद करने से पहले सरकार की अनुमति जरुरी होती थी. लेकिन नए कानून में इसे समाप्त कर दिया गया है. अब 300 से ज्यादा कामगारों वाले कारखाने को बंद करने के लिए ही सरकार से अनुमति जरुरी होगी. महाराष्ट्र में 5700 ऐसे कारखाने हैं जहां 100 से ज्यादा श्रमिक कार्यरत है. नए कानून के तहत अब केवल 1600 कारखानों को बंद करने से पहले सरकार की अनुमति लेनी होगी. पुराने कानून के तहत केवल सार्वजनिक सेवा देने वाले उद्योगों को हडताल पर जाने से 6 सप्ताह पहले नोटिस देने और नोटिस देने के 14 दिन पहले हडताल न करना अनिवार्य था. लेकिन नए कानून में सभी उद्योगों के लिए हडताल से पहले 60 दिन की नोटिस देने और नोटिस देने के 14 दिन के भीतर हडताल न करना अनिवार्य अनिवार्य किया गया है. साथ ही प्रतिष्ठान के 51 फीसदी सदस्यों वाले श्रमिक संगठनों को यूनियन के तौर पर मंजूरी देने का अधिकार मालिक के पास होगा. इसी तरह पुराने कानून के तहत 50 या उससे अधिक कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों में औद्योगिक सेवा योजना अधिनियम लागू था. अब यह 300 या उससे अधिक कर्मचारियों वाले यूनिट के लिए ही लागू हो सकेगा. राज्य के श्रम विभाग का मानना है कि, इससे 50 से 299 कामगारों वाले प्रतिष्ठानों में सेवा शर्तों को लेकर अनिश्चितता तैयार होगी.

विधानमंडल में प्रस्ताव नहीं लाया तो लागू हो जाएंगे नए कानून : छोजेड

इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक) के महाराष्ट्र अध्यक्ष जय प्रकाश छाजेड का कहना है कि, महाराष्ट्र की महा विकास आघाडी सरकार ने हमें आश्वासन दिया है कि, नए श्रम कानून राज्य में नहीं लागू किये जाएंगे. पर इसे रोकने के लिए राज्य सरकार को विधानमंडल में इसके खिलाफ विधेयक पारित कराना होगा. यदि ऐसा नहीं किया गया तो, केंद्र सरकार की अधिसूचना जारी होते ही नए श्रम कानून स्वत: पूरे देश सहित महाराष्ट्र में भी लागू हो जाएंगे. छाजेड ने कहा कि, नए श्रम कानूनों को महाराष्ट्र में लागू होने से रोकने के लिए हम जनवरी में मंत्रालय पर मोर्चा निकालने वाले हैं. उन्होंने कहा कि, मेरी जानकारी के अनुसार नए श्रम कानूनों को लागू करने के लिए आगामी अप्रैल माह मे केंद्र सरकार अधिसूचना जारी करेगी.
खत्म हो जाएंगे राज्य के ये कानून- महाराष्ट्र ट्रेड यूनियन, अनुचित श्रम व्यवहार रोकधाम अधिनियम-1971, महाराष्ट्र दुकान-प्रतिष्ठान (रोजगार व सेवा शर्तों का विनियमन) अधिनियम-2017, महाराष्ट्र माथाडी हमाल व अन्य श्रमिक (विनियमन) रोजगार कल्याण अधिनियम-1968, महाराष्ट्र निजी सुरक्षा रक्षक (विनियमन व कल्याण) अधिनियम 1981, महाराष्ट्र कामगार न्यूनतम किराया भत्ता अधिनियम-1983, महाराष्ट्र घरेलू कामगार कल्याण बोर्ड अधिनियम- 2008.
दो कानून रह सकते है लागू- केंद्रीय श्रम कानूनों में माथाडी कामगार व निजी सुरक्षा रक्षकों को लेकर नए कानून का उल्लेख नहीं है. इसलिए ये दोनों कानून महाराष्ट्र में पहले की तरह लागू रह सकते हैं.

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