मुंबई/दि.११ – बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरूवार को राज्यभर के जिला समाज कल्याण प्राधिकरण से जुडे अधिकारियों द्वारा दिव्यांगों को दी जा रही ऑनलाईन शिक्षा का मूल्यांकन करने का निर्देश दिया है. मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता की खंडपीठ ने एक गैर सरकारी संस्था की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद यह निर्देश दिया.
खंडपीठ ने कहा कि, समाज कल्याण अधिकारी अगले दो सप्ताह में दिव्यांग विद्यार्थियों को ऑनलाईन शिक्षा देनेवाले केंद्रों का अचानक दौरा करें. वहां देखे कि किस तरह से विद्यार्थियों को शिक्षा दी जा रही है? उसमें क्या कमी है? खंडपीठ ने अधिकारियों को अपनी रिपोर्ट सामाजिक न्याय विभाग के संयुक्त सचिव के पास जमा करने को कहा है. रिपोर्ट मिलने के बाद संयुक्त सचिव पूरे ब्योरे के साथ कोर्ट में हलफनामा दायर करें. खंडपीठ ने इस मामले में केंद्र सरकार व नेशनल काउंसिल ऑफ एज्युकेशन रिसर्च एन्ड ट्रेनिंग को भी हलफनामा दायर करने को कहा है. खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद रखी है.
याचिकाकर्ता का आरोप : शिक्षकों को सही ढंग से नहीं किया प्रशिक्षित
याचिकाकर्ता के वकील उदय वारूनजेकर ने कहा कि ७० प्रतिशत दिव्यांग बच्चे ग्रामीण इलाके में रहते है. जहां कमजोर इंटरनेट के कारण पढाई में दिक्कत आ रही है. इसके अलावा शिक्षकों को ऑनलाईन शिक्षा के लिए सही ढंग से प्रशिक्षित नहीं किया गया है. जबकि राज्य सरकार के वकील ने खंडपीठ के समक्ष कहा कि मोबाइल एप व दीक्षा प्लेटफार्म पर विद्यार्थियों को ऑनलाईन शिक्षा दी जा रही है. सरकारी वकील ने दावा किया कि सरकार इस मामले को लेकर प्रभावी कदम उठा रही है.