महाराष्ट्र

सडक दुर्घटना में पिता की मौत पर बच्चे भी मुआवजा पाने के हकदार

हाई कोर्ट का फैसला, कहा-स्नेह, संरक्षण, मार्गदर्शन से हुए वंचित

मुंबई/दि.5 – बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में साफ किया है कि, सडक दुर्घटना में मौत का शिकार हुए शख्स के नाबालिग बच्चे भी मुआवजा पाने का हक रखते हैं. हाई कोर्ट ने एक बीमा कंपनी की ओर से की गई अपील पर सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया है. न्यायामूर्ति भारती डागरे के समक्ष बीमा कंपनी की अपील पर सुनवाई हुई. इस दौरान बीमा कंपनी के वकील ने दावा किया कि मुआवजे की रकम का निष्कर्ष गलत तरीके से निकाला गया है. क्योंकि जोरे के तीन महीने के वेतन में काफी अनियमितता थी. जबकि जोरे की पत्नी की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि, मुआवजे को लेकर दिया गया आदेश सही है. उन्होंने कहा कि, मुआवजे को लेकर जोरे के दो नाबालिग बच्चे के बारे में विचार नहीं किया गया है. जबकि बच्चों ने काफी कम उम्र में अपने पिता को खो दिया है. बच्चे पैतृक संघ (पैरेंट्स कंसोर्टिम) के मद में मुआवजे के हकदार है. क्योंकि बच्चों ने काफी कम उम्र में अपने पिता को खोया है. इन दलीलों को सुनने व सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति ने मुआवजे की रकम को कायम रखा. साथ ही कहा कि, पिता के मौत के चलते बच्चे उनके (पिता) स्नेह, संरक्षण, मार्गदर्शन व अनुशासन से वंचित हो गए हैं. इसलिए बच्चे भी मुआवजे के हकदार हैं. क्योंकि पिता के समय से पहले निधन होने के चलते उन्हें काफी बडा नुकसान हुआ है. यह कहते हुए न्यायमूर्ति ने बीमा कंपनी को जोरे के दोनों बच्चों को चालीस-चालीस हजार रुपए देने का निर्देश दिया.

यह है मामला : दरअसल, मुंबई महानगरपालिका के एंबुलेंस ड्राइवर रमेश जोरे साल 2013 में मुंबई के नागपाडा इलाके में सडक पार करते समय मोटरसाइकिल से हुए एक्सीडेंट में गंभीर घायल हो गए थे. जोरे को केईएम अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी मौत हो गई. इसके बाद जोरे की पत्नी ने मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल में मुआवजे की मांग को लेकर आवेदन दायर किया. ट्रिब्यूनल ने सुनवाई के बाद जोरे की पत्नी को 75 लाख 60 हजार रुपए मुआवजा प्रदान किया था. ट्रिब्यूनल के आदेश को चुनौती देते हुए दि ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड ने हाई कोर्ट में अपील की.

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