मुंबई/दि.२१– कोरोना संक्रमण के कारण समाज के विविध स्तर पर व घटको पर अलग-अलग तरीके से परिणाम हुए है तथा बच्चों में भी स्वास्थ्य की अनेक समस्या निर्माण हो गई है. जिसमें बढता वजन व मोटापे के कारण निर्माण होनेवाली बीमारी का बुखार अधिक परेशानीदायक होने का दिखाई देता है.
कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाऊन के कारण घर में व लॉकडाऊन के कारण घर में घुसकर बैठे बच्चे, मैदान पर खेलने पर प्रतिबंध, इसके अतिरिक्त मात्रा में फास्टफुड खाने, बढ़ी हुई स्क्रीन टाईम के कारण शरीर की सक्रियता कम होने का विशेष परिणाम वजन बढने पर दिखाई दे रहा है. लॉकडाउन के समय अनेक बच्चों का १० से १२ किलो वजन बढ गया है.
मानसोपचार विशेषज्ञ डॉ. मनोज भाटवडेकर ने इस काल में अनेक पालको की ओर से स्क्रीन टाईम बढाने की शिकायत आने का बताया है. डॉक्टर के पास आनेवाले अनेक बच्चों को गेम का अधिक शोक होने का दिखाई दिया. पढाई क्यों करे गेम खेलकर ही करिअर बनाना है. यह बात बच्चों ने ठान ली है. इसके अलावा उन्हें दूसरी ओर देखना भी नहीं चाहते. जिसके कारण वजन बढने के साथ अन्य स्वास्थ्य समस्या भी निर्माण होती है.
कुछ बच्चों में बालरोग विशेषज्ञ डॉ. वही.एस. परदेशी ने कुछ बच्चों में वजन बढने के कारण विविध स्वरूप की त्वचा विकार में वृध्दि दिखाई देती है. इसके अलावा दैनिक काम करने में भी आनेवाला आलस , शारीरिक स्वच्छता अच्छी तरह न करने, सूर्यप्रकाश में न जाने के कारण कॅल्शियम पूरी तरह न मिलने से होनेवाले त्वचारोग अब बच्चों में दिखाई देने लगे है.
निरंतर मोबाइल में गुम रहने से बच्चों की आंखेे, आंखों में जलन होने, और आंखों में पानी आने की शिकायत भी आ रही है. वजन बढने के कारण सक्रियता खत्म हो जाती है. जिससे बच्चे एक ही जगह पर बैठे रहते है. कुछ बच्चे भोजन करने पर भी ध्यान नहीं देतेे जिससे उनका वजन तेजी से कम होने लगता है, ऐसी भी चिंता पालको को सताती है.
* क्या करना चाहिए…
– बच्चों से सकरात्मक संवाद करे
– बच्चों की बाते ध्यान देकर सुने
– पालको को बच्चों को समय देना चाहिए
– बच्चो के साथ बैठे तथा संभव होने पर मैदानी खेलों में सहभाग ले
– कोरोना प्रतिबंधक नियमों का पालन कर तीन चार तीन चार मित्रों के साथ खेल खेलना चाहिए
-पालको को पोषक आहार का आग्रह करना चाहिए
– वजन कम हो सकता है, यह विश्वास बच्चों को दिलवाए
-आवश्यक हो वहां पर डॉक्टरों की सहायता लेनी चाहिए
* लगातार खाने की आदत
शाला शुरू होने पर बच्चों का एक दिनक्रम होता है. शाला मेंं जाना, मैदानी खेलों में सहभाग लेने से उनका व्यायाम होता था. अनेक बच्चों मेें कल्पकता बढती है. स्क्रीन टाईम के कारण कम हो गई है. आत्मविश्वास कम होने के साथ सतत उदास रहना, निराशा आने जैसी शिकायतों में भी वृध्दि होने का निरीक्षण डॉक्टरों ने किया है.