महाराष्ट्र

‘बाल संरक्षक’ एप में स्कूल जाने से वंचित बच्चों का होगा पंजीयन

शालेय शिक्षामंत्री वर्षा गायकवाड ने दी जानकारी

मुंबई/दि.13– राज्य सरकार के स्कूली शिक्षा विभाग और टाटा ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में ‘बाल संरक्षक’एप बनाया गया है. इस एप के जरिए स्कूल जाने से वंचित व स्थानांतरित और अनियमित बच्चों का पंजीयन हो सकेगा, ऐसी जानकारी राज्य की शालेय शिक्षामंत्री वर्षा गायकवाड ने रविवार को दी. शिक्षामंत्री वर्षा गायकवाड ने बताया कि, ‘बाल संरक्षक’ एप को शुरु करने की कार्रवाई राज्य के प्राथमिक शिक्षा निदेशक के माध्यम से की जा रही हैं. उन्होंने स्कूल जाने से वंचित विद्यार्थियों के प्रवेश के लिए आसपास के पत्थर खदान, ईंट भट्टा, बाजार व मजदूरों की बस्तियों में जाकर सर्वेक्षण करने के निर्देश दिए हैं.
शिक्षामंत्री वर्षा गायकवाड ने कहा कि, कोरोना महामारी के चलते स्कूल बंद कर दिए गए थे. इसी दौरान परिवारों के स्थालातंरण का भी प्रमाण अधिक था, इसलिए प्रत्यक्ष स्कूल में दाखिला लेने वाले बच्चों और स्कूल जाने से वंचित बच्चों को खोजने की आवश्यकता महसूस होने लगी हैं. स्कूल जाने से वंचित बच्चों को खोजने और उन्हें शिक्षा के मुख्य प्रवाह से जोडने के लिए बाल रक्षकों को प्रशिक्षित किया जाएगा. शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत स्कूल जाने से वंचित व अनियमित तथा स्थातंरित बच्चों को शिक्षा के प्रवाह में इस एप के माध्यम से लाया जाएगा. ऐसी जानकारी शालेश शिक्षामंत्री वर्षा गाकवाड ने दी.

‘विद्यार्थी मित्र’ नाम से पूरक शैक्षणिक सामग्री
शालेय शिक्षामंत्री वर्षा गायवाड ने कहा कि, नए शैक्षणिक साल 2022-23 में दाखिला लेने वाले स्कूल जाने से वंचित बच्चों को पढाई में सहायता के लिए वीडियो तैयार किया जाएगा. समग्र शिक्षा अभियान के तहत बच्चों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा. इसके लिए कक्षा 1 से 8वीं तक के विद्यार्थियों के लिए ‘विद्यार्थी मित्र’ नाम से पूरक शैक्षणिक सामग्री तैयार की जा रही है. विद्यार्थियों को पढाने वाले शिक्षकों के लिए शिक्षक मार्गदर्शिका भी बनायी जाएगी.

पिछले साल 7806 बच्चें नहीं गए थे स्कूल
राज्य शैक्षणिक अनुसंधान व प्रशिक्षण परिषद के सर्वे के अनुसार पिछले साल राज्य में कभी न स्कूल जाने वाले 6 से 14 आयु वर्ग के बच्चों की संख्या 7806 थी. जिसमें 4076 लडके व 3730 लडकियाेंं का समावेश था. जबकि अनियमित उपस्थिति के कारण स्कूल जाने से वंचित बच्चों की संख्या 17 हजार 397 थी. जिसमें 9008 लडके और 8389 लडकियों की संख्या थी. दोनो मिलाकर बच्चों की संख्या 25 हजार 203 हैं. इसमें विशेष जरुरतमंद बच्चों की संख्या 1212 थी. जबकि बाल मजदूरों की संख्या 287 थी व अन्य कारणों से स्कूल न जाने वाले विद्यार्थियों की संख्या 23 हजार 704 हैं.

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