कक्षा 10 वीेेें व 12 वीं की परीक्षाएं रद्द नहीं की गई
शिक्षामंत्री वर्षा गायकवाड (Varsha Gaikwad) ने किया स्पष्ट

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शिक्षा विभाग (Education Department) कर रही तमिलनाडु सरकार के फैसले का अध्ययन
मुंबई/दि.27 – महाराष्ट्र बोर्ड की ओर से घोषित कक्षा 10 वीं और 12 वीं की परीक्षाएं रद्द नहीं की गई हैं. प्रदेश की स्कूली शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड ने शुक्रवार को स्पष्ट किया. गायकवाड ने कहा सरकार ने बोर्ड की परीक्षाओं को रद्द करने को लेकर कोई फैसला नहीं लिया है. राज्य में कक्षा 10 वीं और 12 वीं की परीक्षाएं होगी. गायकवाड ने कहा कि महाराष्ट्र बोर्ड का कहना है कि कक्षा 10 वीं और 12 वीं की परीक्षाएं ऑनलाईन नहीं ली जा सकती हैं. इसलिए परीक्षाएं ऑफलाईन ही आयोजीत करनी होगी.
कोरोना के बढते मामले को देखते हुए बोर्ड की परीक्षाओं के लिए विद्यार्थियों को किस प्रकार से सहूलियतें दी जा सकती हैं, इस पर शिक्षा विभाग की ओर से अध्ययन शुरू है. गायकवाड ने कहा कि राज्य के कक्षा 1 ली से 8 वीं तक और कक्षा 9 वीं से 11 वीं के विद्यार्थियों की परीक्षाओं के लिए क्या फैसला लिया जाना चाहिए? इस पर संबंधितों से राय मांगी जा रही है. सरकार परीक्षाओं के बारे में तमिलनाडु सरकार के फैसले का भी अध्ययन करेंगी. गायकवाड ने कहा कि सोलापुर और वाशिम में विद्यार्थी कोरोना संक्रमित पाए गए है. इसलिए सरकार की ओर से स्कूलों को बंद करने का फैसला स्थानीय प्रशासन को दिया गया है.
इसके अनुसार कई जिलों में स्कूलों को बंद कर दिया गया है. कुछ समाचार चैनलों पर इस तरह की खबरें प्रसारित की गई थी कि तमिलनाडु की तर्ज पर महाराष्ट्र में 10 वीं व 12 वीं बोर्ड परीक्षा रद्द होने के आसार हैं. इसके बाद स्कूली शिक्षामंत्री वर्षा गायकवाड ने यह स्पष्टीकरण दिया है.
फीस बढोतरी मामले पर हाईकोर्ट सुनायेगा सोमवार को फैसला
- सरकार ने लगायी थी फीस बढोतरी पर रोक
- स्कूल संगठनों ने फैसले के खिलाफ दायर की है याचिका
बॉम्बे हाईकोर्ट ने शैक्षणिक वर्ष 2020-21 के दौरान स्कूलों की फीस बढोतरी पर रोेक लगाने के राज्य सरकार के निर्णय के खिलाफ दायर याचिका पर सोमवार को अपना फैसला सुनाने की बात कही है. हाईकोर्ट ने कहा कि हम चाहते हैं कि शैक्षणिक संस्थान व सरकार उन विषयों को लेकर एक मसौदा दे, जिनको लेेकर दोनों की आम सहमति है. इससे पहले गुरूवार को कोर्ट ने स्कूल की फीस बढोत्तरी को लेकर मिलनेवाली शिकायतों की एक समय सीमा के भीतर जांच करने संबंधी आदेश जारी करने के संकेत दिए थे. लेकिन यह भी कहा था कि फीस न भरने के चलते किसी विद्यार्थी को स्कूल से न निकाला जाए. न ही परीक्षा में बैठने से रोका जाए. खंडपीठ ने कहा कि हम इस आशय से जुडा आदेश जारी करने से पहले आम सहमति पत्र को देखना चाहते है. उसके हिसाब से अपना आदेश जारी करेंगे. इस संबंध में एसोसिएशन ऑफ इंडियन स्कूल सहित कई लोगों ने कोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका में मुख्य रूप से सरकार की ओर से 8 मई 2020 में जारी किए गए शासनादेश को चुनौती दी गई है. इस शासनादेश के तहत सरकार ने सभी निजी व गैर अनुदानित स्कूलों को इस शैक्षणिक वर्ष में फीस बढाने से रोेका है. याचिका में सरकार के शासनादेश को अवैध बताया गया है. इसे रद्द करने का आग्रह किया गया है.