महाराष्ट्र

राज्य में कक्षा 10 वीं की परीक्षा पर हो सकता है पुनर्विचार

सरकार सीबीएसई के निर्णय का करेगी अध्ययन

  • सीबीएसई ने रद्द की कक्षा 10 वीं की परीक्षा

  • विद्यार्थियोें सहित अभिभावकों में मायूसी व संभ्रम का आलम

मुंबई/दि.15 – गत रोज केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) द्वारा देश में कोरोना के लगातार बढते संक्रमण को देखते हुए मई माह में होनेवाली कक्षा 10 वीं की परीक्षा को रद्द कर दिया गया है. ऐसे में अब यह सवाल पूछा जा रहा है कि, महाराष्ट्र में राज्य शिक्षा मंडल द्वारा ली जानेवाली कक्षा 10 वीं की परीक्षा होगी अथवा नहीं, इस बारे में राज्य की शालेय शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि, केंद्रीय शिक्षा बोर्ड के निर्णय का अध्ययन किया जायेगा.
केंद्रीय शिक्षा बोर्ड के निर्णय को उचित व समाधानकारक बताने के साथ ही शालेय शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड ने कहा कि, इस समय विद्यार्थियों की सुरक्षा हमारे लिये सबसे पहली प्राथमिकता है. ऐसे में राज्य शिक्षा मंडल ने ही सबसे पहले कक्षा 10 वीं व 12 वीं की परीक्षाओं को मई व जून तक आगे टालने का निर्णय लिया था. इसी तरह अन्य शिक्षा मंडलों ने भी विचार करना चाहिए.
वहीं शिवसेना के मुख्य प्रवक्ता अरविंद सावंत ने भी केंद्रीय शिक्षा बोर्ड के निर्णय का स्वागत किया है. सावंत ने विगत सप्ताह ही केेंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को पत्र भेजकर कक्षा 10 वीं व 12 वीं की परीक्षाओं के संदर्भ में पुनर्विचार करने को लेकर पत्र भेजा था. उल्लेखनीय है कि, कोरोना की पहली लहर के दौरान राज्य के विद्यापीठों में अंतिम वर्ष की परीक्षा लेने को सत्ताधारी शिवसेना की युवा सेना द्वारा विरोध दर्शाया गया था और राज्यपाल तथा विद्यापीठ अनुदान आयोग के साथ राज्य के उच्च व तंत्रशिक्षा विभाग की ठन गयी थी. अंत राज्य के विद्यापीठों को अंतिम सत्र व अंतिम वर्ष की परीक्षा लेनी ही पडी थी.
इस संदर्भ में शिवसेना नेता व राज्य के पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे ने कहा कि, राज्य में कक्षा 10 वीं की परीक्षा के संदर्भ में सरकार को दोबारा विचार करना होगा. जिसके बारे में शालेय शिक्षा मंत्री द्वारा शिक्षा विशेषज्ञों के साथ चर्चा की जा रही है.
उधर सीबीएसई द्वारा लिये गये निर्णय की वजह से अधिकांश विद्यार्थी व पालक असहमत दिखाई दे रहे है और उन्हें यह फैसला पसंद नहीं आया है. इन विद्यार्थियों व अभिभावकों का कहना है कि, परीक्षा को रद्द करने की बजाय अन्य पर्यायों पर विचार किया जाना जरूरी था. क्योंकि सीबीएसई के विद्यार्थियों की ऑनलाईन परीक्षा लेना सहज तरीके से संभव है. इसके अलावा भी अन्य पर्यायों का विचार करते हुए परीक्षा ली जा सकती है. किंतु परीक्षा को ही रद्द कर देना, एक तरह से विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड है.
कई अभिभावकों का कहना है कि, देश में चार-पांच राज्यों को छोडकर अन्य सभी राज्यों में कोरोना की स्थिति नियंत्रण में है. ऐसे में वहां पर परीक्षा ली जा सकती है. साथ ही शेष राज्यों में ऑनलाईन परीक्षा लेने का पर्याय उपलब्ध है. ऐसे में परीक्षा ही रद्द कर देने के संदर्भ में सीबीएसई का फैसला बेहद आश्चर्यजनक है. वहीं कई अभिभावकों ने सीबीएसई के फैसले का स्वागत भी किया है और कहा है कि, इस फैसले की वजह से विद्यार्थियों पर अब कोविड के खतरे के बीच परीक्षा देने का दबाव नहीं है.

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