महाराष्ट्र

राज्य में कक्षा 12 वीं की परीक्षा हुई रद्द

ठाकरे सरकार ने लिया फैसला, कोविड संक्रमण के चलते लिया गया निर्णय

मुंबई/दि.3 – कोविड संक्रमण के लगातार बढते खतरे को देखते हुए राज्य सरकार ने राज्य शिक्षा मंडल के मार्फत ली जानेवाली कक्षा 12 वीं की बोर्ड परीक्षा रद्द करने निर्णय लिया है. सीएम उध्दव ठाकरे की अध्यक्षता में गुरूवार को हुई आपत्ति व्यवस्थापन की बैठक में कक्षा 12 वीं की परीक्षा को रद्द करने के निर्णय पर अंतिम मूहर लगाय गयी. ऐसे में अब कक्षा 10 वीं की तरह ही कक्षा 12 वीं के विद्यार्थियों का परीक्षा परिणाम भी मूल्यमापन पध्दति के जरिये घोषित किये जाने की संभावना है. साथ ही अब सभी का ध्यान इस ओर लगा है कि, 12 वीं के विद्यार्थियों का मूल्यमापन करने हेतु कौनसे मानक तय किये जाते है.
बता दें कि, गत रोज हुई मंत्रिमंडल की बैठक में कक्षा 12 वीं की परीक्षा को रद्द करने पर आम सहमति बनी थी और राज्य मंत्रि परिषद का कहना रहा कि कोविड संक्रमण के खतरे को देखते हुए विद्यार्थियों सहित उनके अभिभावकों, शिक्षकों व शिक्षकेत्तर कर्मचारियों की जान को खतरे में डालना योग्य नहीं होगा. ऐसे में जिस तरह से कक्षा 10 वीं की परीक्षा रद्द की गई है, उसी तरह से कक्षा 12 वीं की परीक्षा को भी रद्द किया जाये. जिसके बाद गुरूवार को राज्य आपत्ति व्यवस्थापन समिती की बैठक के दौरान मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे की अध्यक्षता में इस फैसले पर अंतिम मूहर लगायी गयी और जल्द ही इस फैसले से उच्च न्यायालय को अवगत कराया जायेगा.
कक्षा 12 वीं के परीक्षा परिणाम के संदर्भ में मिली जानकारी के अनुसार इसका फार्म्यूला शिक्षा विभाग द्वारा निश्चित किया जायेगा. कक्षा 9 वीं, 10 वीं व 11 वीं के अंकों का औसत निकालते हुए परिणाम जारी करना एक पर्याय हो सकता है. किंतु गत वर्ष लॉकडाउन के चलते कक्षा 11 वीं की परीक्षा ही नहीं हुई थी. यह भी एक समस्या सामने आयेगा. इसके अलावा कक्षा 12 वीं के बाद पदवी पाठ्यक्रम में प्रवेश हेतु सीईटी के पर्याय पर भी विचार किया जा सकता है.

  • रद्द ही रहेगी कक्षा 10 वीं की परीक्षा

 हाईकोर्ट ने लगायी अंतिम मूहर
महाराष्ट्र में इस वर्ष कक्षा 10 वीं की परीक्षा रद्द ही रहेगी. इस बात पर मुंबई उच्च न्यायालय द्वारा भी अपनी अंतिम मूहर लगा दी गई है. कक्षा 10 वीं की परीक्षा को रद्द करने के संदर्भ में राज्य सरकार द्वारा लिये गये फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर करनेवाले धनंजय कुलकर्णी ने इस संदर्भ में हाईकोर्ट की ओर से बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर आडे हाथ लिये जाने और कडी फटकार लगाये जाने के बाद अपनी याचिका वापिस ले ली. ऐसे में अब यह तय है कि, राज्य में कक्षा 10 वीं की परीक्षा इस वर्ष नहीं ली जायेगी और परीक्षा को रद्द करने के संदर्भ में राज्य सरकार द्वारा लिया गया निर्णय ही कायम रहेगा.
बता दें कि, पुणे निवासी प्रा. धनंजय कुलकर्णी ने मुंबई हाईकोर्ट में कक्षा 10 वीं की परीक्षा लिये जाने को लेकर एक जनहित याचिका दायर की थी. जिस पर सुनवाई करते हुए मुंबई हाईकोर्ट ने जानना चाहा कि, यदि परीक्षा ली जाती है, तो क्या याचिकाकर्ता द्वारा परीक्षार्थियों के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी ली जायेगी. साथ ही अदालत ने यह भी जानना चाहा कि, याचिका दायर करनेवाले धनंजय कुलकर्णी कौन है और उनका शिक्षा क्षेत्र में क्या योगदान है. कोर्ट द्वारा एक के बाद एक पूछे जानेवाले इन सवालों के चलते याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका को वापिस लेने का निर्णय लिया. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने कक्षा 11 वीं में प्रवेश हेतु सामाईक परीक्षा यानी सीईटी लिये जाने के मसले को महत्वपूर्ण माना. कोर्ट के मुताबिक कक्षा 11 वीं की परीक्षा हेतु सभी बोर्ड के विद्यार्थियों की एक ही सीईटी परीक्षा होगी और उस समय सभी विद्यार्थी एक ही स्तर पर आ जायेंगे और उनके साथ किसी भी तरह का कोई भेदभाव नहीं होगा. इसी तरह राज्य सरकार ने कक्षा 10 वीं के विद्यार्थियों को एक तय मूल्यांकन पध्दति के जरिये उत्तीर्ण करने का निर्णय लिया है. यदि इस पध्दति को लेकर याचिकाकर्ता को कोई संदेह है, तो वे नई याचिका दायर कर सकते है.
इस याचिका पर सुनवाई करते हुए मुंबई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति ए. जी. कुलकर्णी की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हुई. जिसके बाद हाईकोर्ट ने कक्षा 10 वीं की परीक्षा को इस वर्ष रद्द करने पर अपनी अंतिम मूहर लगायी.

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