कोयला, पानी, बिजली उत्पादन विदर्भ में फिर दरो में वृध्दी क्यों..?
बिजली के दरों के कारण विदर्भ में आ रहा उद्योग संकट
* विदर्भ के उद्योगों को आकर्षित करने के लिए राज्य सरकार की ओर से बिजली दरों में सहुलियत दिए जाने की उद्योजक उठा रहे मांग
नागपुर/दि.13– औद्योगिक दृष्टी से पिछे जा रहे विदर्भ में उद्योगों को आकर्षित करने के लिए राज्य सरकार की ओर से उद्योग के लिए दी जाने वाली बिजली दरों में छूट बंद होने के कारण उद्योजकों में नाराजगी देखी जा रही है. विदर्भ में बिजली उत्पादन केंद्र के लिए कोयला उपलब्ध है. उसके परिवहन के लिए कम खर्च आता है. औष्णिक बिजली केंद्र से निकली हुई राख को सिमेंट कारखानों व्दारा खरीदी करने पर सरकार को बडी संख्या में राजस्व प्राप्त हो सकता है. इसका फायदा विदर्भ के उद्योजकों को बिजली दर में सहुलियत के माध्यम से दे ऐसी मांग अब आगे आ रही है.
विदर्भ में अधिकतर संख्या में नैसर्गिक संसाधन उपलब्ध है. देश के मध्य भाग में स्थित नागपुर में सभी तरह के साधन उपलब्ध है. उच्च शिक्षित मनुष्यबल उपलब्ध रहने पर भी इस क्षेत्र में उद्योग की संख्या कम है.मराठवाडा में भी यह क्षेत्र पीछे जा रहे है. जिसके कारण दोनों मंडलों में सरकार ने उद्योगों को बिजली सहुलियत देने की घोषणा की गई थी. 31 मार्च तक यह सहुलियत थी. उसकी समयावधी देने के लिए सरकार ने नये आदेश न निकालते हुए बढे हुएदर में शुल्क आकारण शुरू हो गई है. जिसका भार उद्योगों पर पड रहा है.
कोयला, पानी व बिजली उत्पादन केंद्र विदर्भ में रहने के बावजूद भी विदर्भ में बिजली उत्पादन बहुत ही कम किमत में होता है. मगर अनेक दशकों से इसका लाभ विदर्भ के उद्योगों को नहीं मिल पा रहा है. पूरे महाराष्ट्र में बिजली दर समान रखने का झटका विदर्भ को बैठ रहा है. इसका परिणाम विदर्भ के औद्योगिकीकरण बढ नहीं पाया है. ऐसा दावा नैसर्गिक संसाधन तज्ञ व विदर्भ विकास परिषद के पूर्व अध्यक्ष प्रदीप माहेश्वरी ने किया है.
अनुदान बंद हुआ?
विदर्भ व मराठवाडा में उद्योग के लिए बिजली बिल में दो रुपये प्रतियुनिट अनुदान सरकार की ओर से दिया जाता था. इसके लिए अनुदान की मर्यादा (1200 करोड) निश्चित की गई थी. 31 मार्च तक इसका समय था. राज्य सरकार की ओर से उसे समयावधी बढाने का आश्वासन दिया गया था. मगर आचार संहिता के पूर्व यह निर्णय न होनने पर बढे हुए दर से बिजली देयक उद्योजको पर आयी है. 9 रुपयें 50 पैसे प्रतियुनिट दर से मिलने वाली बिजली भ उद्योजकों को 11.30 रुपये प्रतियुनिट में लेनी पड रही है.
पहला अधिकार स्थानीय लोगों का
मुंबई में बंदर के पास रहने से इसका फायदा मिलता है. इसी तरह कोयला, पानी व विद्युत केंद्र यह विदर्भ का शक्तिशाली केंद्र है. प्राकृतिक संसाधन पर पहला अधिकार स्थानीय लोगों का होता है. जिसके कारम विदर्भ के उद्योगों को सस्ती बिजली यह उनका अधिकार है.
प्रदीप महेश्वरी (नैसर्गिक संसाधन तज्ञ,नागपुर)