महाराष्ट्र

कलेक्टर कुपोषणग्रस्त क्षेत्रों का पता लगाएं

हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र के सभी मजिस्ट्रेट को भी दिए आदेश

मुंबई/दि.15 – मुंबई हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह राज्य के सभी कलेक्टर और मजिस्ट्रेट को अपने-अपने क्षेत्राधिकार का सर्वेक्षण करने और उन क्षेत्रों की पहचान करने का निर्देश देगा जहां बाल विवाह के मामले प्रचलित थे. मुख्य न्यायाधीश दिपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एम.एस. कार्णिक की पीठ ने कहा कि इन सर्वेक्षण में उन इलाकों की पहचान की जाए खासकर आदिवासी क्षेत्रों में जहां कुपोषण के कारण बच्चों की मौत के मामले सामने आए हो.
पीठ जनहित याचिकाओं के एक समूह पर सुनवाई कर रही थी जिसमें कुपोषण के कारण आदिवासियों की मौत रोकने के लिए आदालत के हस्तक्षेप और राज्य की उदासीनता को लेकर निर्देश देने का अनुरोध किया गया था. पीठ ने याचिकाकर्ताओं में से एक के वकील उदय वरुंजीकर को सोमवार शाम तक अदालत में उन जिलों की सूची प्रस्तुत करने का निर्देश दिया जहां लोग इन समस्याओं का सामना कर रहे है.

कम उम्र की शादी है बडा मुद्दा

मुख्य न्यायाधीश दिपांकर दत्ता ने कहा कि, मुझे मेरे सूत्रों से पता चला है कि अब महाराष्ट्र के आदिवासी इलाकों में भी लडकियों की कम उम्र में शादी करवायी जा रही है. 15 साल की उम्र में उनकी शादी करा दी जाती है और फिर वे जल्द ही गर्भवती हो जाती है ऐसे में कई बार मां और बच्चे की मौत हो जाती है हमें इसे रोकना होगा. उन्होंने कहा कि हमारे सभी प्रयास तब तक विफल होते रहेंगे जब तक की हम उन्हें यह न समझाए की शादी करवाने की कानूनी उम्र 18 है. हम ऐसा होने तक लडकियों की रक्षा नहीं कर पाएंगे.

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