मुंबई/दि.7– राज्य में अकृषक कर के बोझ से नागरिकों को राहत देने हेतु सरकार द्वारा हलचलें शुरू की गई है. जिसके चलते मौजूदा कर प्रणाली पर पुनर्विचार करने हेतु राजस्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समिती गठित करने का निर्णय राजस्व मंत्री बालासाहब थोरात द्वारा गत रोज लिया गया.
उल्लेखनीय है कि, अकृषक करों के जरिये राज्य सरकार को बडे पैमाने पर राजस्व की प्राप्ती होती है. जमीन के अकृषक प्रयोग के बदले में लगाये जानेवाले इस कर के लिए सरकार ने सन 2018 में नीति तय की थी. जिसके अनुसार शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में अकृषक कर की दरें तय की गई. साथ ही प्रत्येक पांच वर्ष के दौरान इन करों में बदलाव सुझाये गये. तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की सरकार के कार्यकाल दौरान यह नीति लागू करने के बाद अकृषक कर की वसूली का नागरिकों द्वारा तीव्र विरोध किया जाने लगा. ऐसे में तत्कालीन राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटील ने इस कर वसूली को स्थगित कर दिया था. जिसके बाद राज्य में सत्ता परिवर्तन के पश्चात अस्तित्व में आयी महाविकास आघाडी सरकार ने इस फैसले पर अमल करना शुरू किया और फरवरी माह से राजस्व विभाग ने अकृषक कर वसुली की मुहिम शुरू की. जिसके अनुसार मुंबई तथा आसपास के परिसर के 60 हजार से अधिक नागरिकों को अकृषक कर के भुगतान हेतु नोटीस जारी की गई.
भाजपा विधायक एड. आशिष शेलार ने विधान मंडल के बजट सत्र दौरान ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिये अकृषक कर की वसुली का विरोध किया था और उस समय सर्वपक्षीय विधायकों द्वारा किये जानेवाले विरोध के मद्देनजर राजस्वमंत्री बालासाहब थोरात ने इस करवसूली को स्थगित कर दिया. हालांकि इसके बाद भी सरकार इस कर वसूली को शुरू करने हेतु प्रयासरत थी, लेकिन इसका आघाडी के भीतर ही विरोध हो रहा था. जिसे देखते हुए अब अकृषक कर की नीति पर पुनर्विचार करने का निर्णय सरकार द्वारा लिया गया है. जिसके चलते इस कर की वजह से नागरिकों पर पडनेवाले बोझ को कम करने हेतु अकृषक कर की दरों पर पुनर्विचार करने के लिए राजस्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव नितीन करीर की अध्यक्षता में नासिक एवं कोंकण विभाग के संभागीय आयुक्त तथा जमाबंदी आयुक्त का समावेश करते हुए एक अध्ययन समिती का गठन किया गया है. जिसके द्वारा दी जानेवाली रिपोर्ट के आधार पर आगामी मनपा चुनाव से पहले नागरिकों को राहत देनेवाला निर्णय लेने के संदर्भ में सरकार द्वारा प्रयास किया जायेगा.