महाराष्ट्र

800 करोड़ के भूसंपादन के गैरव्यवहार की जांच हेतु समिति

मुख्यमंत्री ने दिए जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश

नाशिक/दि.7– भाजपा सत्ता वाली महानगरपालिका में 2020-21 व 2021-22 इन दो वर्षों में निजी कामों द्वारा किए गए करीबन 800 करोड़ के भूसंपादन की अनियमितता व गैरव्यवहार की जांच के लिए नगर विकास विभाग ने उच्चस्तरीय समिति गठित कर जिम्मेदारी निश्चित करने का निर्णय लिया है. भूसंपादन में दिखाये गए विलक्षण गतिमानता पर छगन भुजबल द्वारा संशय व्यक्त किए जाने के पश्चात मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने तुरंत जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिये है.
इस भूसंपादन के लिए विकासकामों का निधि दिया गया. ताबे में रहने वाले रास्ते व जगह के लिए भी रकम दिए जाने का आक्षेप है. नाशिक मनपा का सर्वप्रथम विकास लेखाजोखा 1993 में मंजूर हुआ. उस विकास लेखाजोखा के अनेक आरक्षण 2003 पश्चात ताबे में लेने हेतु कुछ जगह के मालिकों ने महाराष्ट्र प्रादेशिक नगररचना अधिनियम 127 के अनुसार मनपा को नोटीस दिये जाने से मनपा ने भूसंपादन प्रक्रिया शुरु करने के लिए जिलाधिकारी कार्यालय में प्रस्ताव भेजा. जिसके अनुसार विशेष भूसंपादन अधिकारी के कार्यालय में शुरु किया गया. जिसमें 1990 से अनेक प्रस्ताव प्रलंबित है. इसमें मनपा द्वारा किसी भी प्रकार के प्रस्ताव के भूसंपादन की प्रक्रिया नहीं की गई. जिलाधिकारी कार्यालय ने मनपा को इस बारे में कई बार पत्रव्यवहार कर भूसंपदन के पैसों के लिए मांग की. बावजूद इसके मनपा द्वारा दुर्लक्ष किए जाने से व न्यायालय के आदेश के कारण 2017 के विकास लेखाजोखा में अनेक आरक्षण रद्द हुए.
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एक ओर जिलाधिकारी कार्यालय के किसानों के भूसंपादन को पैसे देने में टालमटोल होते समय दूसरी ओर मात्र निजी हलचलों का इस्तेमाल करते हुए 2020-2021 आर्थिक वर्ष में 356 करोड़ तो 2021-2022 आर्थिक वर्ष में 430 करोड़ रुपए वितरित किये लेकिन बावजूद इसके इस बार के आर्थिक वर्ष में फिर से 11 अप्रैल तक (11 दिनों में) 44 करोड़ के नियोजन को देखते हुए भूसंपादन में रस संशय के घेरे में पाया गया है.

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