मुंबई/दि.13 – राज्य के पूर्व राजस्व मंत्री तथा राकांपा नेता एकनाथ खडसे के खिलाफ इस समय भोसरी एमआयडीसी की जमीन खरीदी मामले को लेकर ईडी द्वारा जांच की जा रही है. यह जांच जारी रहने के दौरान ही राज्य के राजनीतिक क्षेत्र में खलबली मचा देनेवाली एक खबर सामने आयी है. जिसके मुताबिक एकनाथ खडसे पर आरोप लगने के बाद तत्कालीन फडणवीस सरकार द्वारा गठित न्या. झोटिंग समिती की ओर से सरकार को दी गई गोपनीय रिपोर्ट मंत्रालय से गायब हो गई है. राज्य के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार द्वारा इस रिपोर्ट की मांग किये जाने पर यह मामला सामने आया है. ऐसे में अब विपक्षी दल भाजपा द्वारा एक बार फिर सरकार को चारों ओर से घेरने का प्रयास किया जा रहा है. साथ ही इसे लेकर जल्द ही आरोप प्रत्यारोप शुरू होने की भी संभावना दिखाई दे रही है.
बता दें कि, 28 अप्रैल 2016 को तत्कालीन राजस्व मंत्री एकनाथ खडसे की पत्नी मंदाकिनी खडसे तथा दामाद गिरीश चौधरी ने भोसरी एमआयडीसी में रहनेवाली जमीन अब्बास रसूल उकानी नामक व्यक्ति से 3.75 करोड रूपयों में खरीदी थी और खरीदी-बिक्री के इस व्यवहार का बाकायदा निबंधक कार्यालय में पंजीयन भी कराया था. जबकि यह जमीन करीब 40 वर्ष पहले एमआयडीसी द्वारा संपादित की जा चुकी थी और इसका मौजूदा बाजार मूल्य काफी अधिक है. ऐसे में कौडियों के दाम इस जमीन की खरीदी-बिक्री होने के चलते राज्य सरकार को करीब 61 करोड रूपये के राजस्व के नुकसान का सामना करना पडा है. इस मामले को लेकर मचे हंगामे के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 23 जून 2016 को न्या. झोटिंग के नेतृत्व में एक सदस्यीय जांच समिती गठित की गई. जिसका कामकाज 3 मई 2017 तक चला और 30 जून को समिती द्वारा अपनी गोपनीय रिपोर्ट सरकार को दी गई. यह रिपोर्ट इस मामले में काफी अधिक महत्वपूर्ण बताई जाती है.
चूंकि इस समय एकनाथ खडसे के खिलाफ ईडी द्वारा जांच शुरू की गई है और उनके दामाद को भी पूछताछ हेतु हिरासत में लिया गया है. ऐसे में इस मामले को लेकर राजनीति जमकर गरमायी हुई है. जिसके चलते उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने झोटिंग समिती द्वारा पेश की गई गोपनीय रिपोर्ट की मंत्रालय से मांग की. तब पता चला कि, यह रिपोर्ट ही मंत्रालय से गायब हो चुकी है. इसे लेकर अब और अधिक हंगामा मचा हुआ है.