महाराष्ट्र

निजी कंपनियों में यौन उत्पीडन रोकने बनी समितियों को कानून सरक्षण दें

उच्च न्यायालय में दर्ज की गई जनहित याचिका

मुंबई /दि.५ – कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन शोषण से जुडे मामलों को देखने के लिए निजी क्षेत्र की विविध इकाइयों में बनाई जानेवाली कमेटी के सदस्यों को सरंक्षण देने की मांग को लेकर बांबे हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है. यह याचिका पेशे से वकील आभा सिंह व एक निजी क्षेत्र की कंपनी की पूर्व अधिकारी जानकी चौधरी ने दायर की है.
याचिका के अनुसार कार्यस्थल पर महिला यौन शोषण प्रतिबंधक अधिनियम 2013 में महिलाओं के योैन उत्पीडन से जुडी शिकायतों का निपटारा कैसे किया जाए इसका प्रावधान किया गया है. इस कानून के माध्यम से निजी कंपनियों को नियोक्ता को आतंरिक शिकायत कमेटी (आईसीसी) जबकि राज्य सरकार को स्थानीय शिकायत कमेटी बनाने के लिए बाध्य किया गया है. आतंरिक कमेटी कार्यस्थल से जुडे मामले को निष्पक्ष तरीके से जांच व सुनवाई करने का दायित्व सौपा गया है. एक तरह से यह कमेटी सीविल कोर्ट व अर्ध-न्यायिक प्राधिकरण की तरह काम करती है, ल ेकिन कमेटी के सदस्यों को कोई कानूनी संरक्षण नहीं मिला है. यह अन्यायपूर्ण है. जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के निकायों की आंतरिक शिकायत कमेटी के सदस्यों को पर्याप्त कानूनी संरक्षण है. यह भेदभावपूर्ण स्थिति है. याचिका में कहा गया है कि निजी क्षेत्र की कमेटी की स्थिति बेहद खस्ताहाल में है. सरकारी क्षेत्र के कमेटी सदस्यों का एक तय कार्यकाल होता है. इस लिए वे निर्भिक होकर कानून के प्रावधानों के तहत कार्य करते हैं.
याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता की ओर से एक पत्र के माध्यम से इस विषय पर केंद्रीय महिला व बाल विकास मंत्रालय का भी ध्यान आकर्षित कराया गया है, मगर वहां से कोई सकारात्मक प्रतिसाद नहीं मिला है. इस लिए इस मामले को लेकर कोर्ट में याचिका दायर की गई है. अदालत से आग्रह किया गया है कि निजी कंपनियों की आतंरिक कमेटी के सदस्यों को लोकसेवक घोषित किया जाए और सार्वजनिक क्षेत्र की कमेटी के सदस्यों की तरह उन्हें भी कानूनी संरक्षण मिले. इसके साथ ही इस विषय पर अदालत से दिशा-निर्देश जारी करने का भी निवेदन किया गया है.

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