ऑनलाईन परीक्षा में पिछडे क्षेत्रों पर भी हो विचार
अंतिम सत्र परीक्षा की नीति को लेकर कुलगुरू समिती ने दिया सुझाव
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कल परीक्षा पध्दति को लेकर सरकार लेगी अंतिम निर्णय
मुंबई – हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने यूजीसी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सभी राज्य सरकारों को निर्देश जारी किये थे कि, सभी विद्यापीठों में स्नातक व स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के अंतिम वर्ष व अंतिम सत्र की परीक्षाएं ली जाये. जिसके बाद राज्य सरकारने कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए राज्य में ऑनलाईन परीक्षा लिये जाने का निर्णय लेते हुए इस संदर्भ में कुलगुरूओं की समिती को आवश्यक सुझाव देने हेतु कहा था. पश्चात कुलगुरूओं की समिती की एक बैठक हुई. जिसमें हुए विचारमंथन पश्चात सरकार को सुझाव दिया गया कि, मुंबई व पुणे विद्यापीठों की तरह नागपुर, अमरावती, गोंडवाना व सोलापुर विद्यापीठ में सुचना तकनीक के अत्याधूनिक साधन नहीं है तथा इन पिछडे क्षेत्रों में रहनेवाले विद्यार्थियों के पास भी आवश्यक सुविधाएं नहीं है. ऐसे में ऑनलाईन परीक्षा को लेकर कोई भी निर्णय लेते समय इन विद्यापीठों एवं क्षेत्रों के विद्यार्थियों की समस्याओं को ध्यान में रखा जाये. जानकारी है कि, राज्य सरकार द्वारा इस संदर्भ में बुधवार ३ सितंबर को कोई अंतिम निर्णय लिया जा सकता है.
बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट द्वारा आगामी ३० सितंबर तक विद्यापीठों को अंतिम वर्ष की परीक्षाएं लेने के संदर्भ में निर्देशित किया गया है. किंतु राज्य के सभी विद्यापीठों द्वारा संयुक्त रूप से एक पत्र जारी कर ३० सितंबर से पहले परीक्षाएं लेने और परीक्षाओं से संबंधित तैयारी करने को लेकर अपनी असमर्थता दर्शायी गयी है. साथ ही परीक्षाएं लेने हेतु ३१ अक्तूबर तक समयावृध्दि मांगी गयी है. इसके अलावा परीक्षाओं को ऑनलाईन या ऑफलाईन लेने के संदर्भ में भी अब तक पेंच फंसा हुआ है. कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए ऑफलाईन परीक्षा लेना खतरनाक साबित हो सकता है. इस बात के मद्देनजर सभी विद्यापीठ प्रशासन एवं राज्य सरकार द्वारा ऑनलाईन परीक्षा लेने पर विचार किया जा रहा है. किंतु ऑनलाईन परीक्षा लेने के लिए जिस तरह की संचार तकनीक संबंधित व्यवस्थाओं की जरूरत पडती है, उस तरह की व्यवस्थाएं सभी विद्यापीठों के पास उपलब्ध नहीं है. ऐसे में इन व्यवस्थाओं को इतने कम समय में जूटाना भी अपने आप में एक बडी चुनौती साबित हो सकता है. ऐसे में तमाम बातों पर विचार-विमर्श करते हुए कुलगुरू समिती ने राज्य सरकार से सभी क्षेत्रों की समस्याआें और जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सर्वसमावेशक निर्णय लेने का सुझाव दिया है.
साथ ही कुलगुरूओं की बैठक में इस बात को लेकर सहमति बनी की ३० सितंबर तक परीक्षा लेना संभव नहीं है. अत: यूजीसी द्वारा सभी विद्यापीठों को ३१ अक्तूबर तक समयावृध्दि दी जाये.