सरकार कर रही विलीनीकरण व वेतन वृध्दि पर विचार
रापनि कर्मियों की हडताल को लेकर राकांपा प्रमुख शरद पवार ने दी जानकारी
महाबलेश्वर/दि.24- विगत 18-20 दिनों से राज्य परिवहन निगम को सरकारी सेवा में शामिल किये जाने की मांग को लेकर रापनि कर्मियों द्वारा हडताल की जा रही है. जिसका अब तक कोई समाधान नहीं निकल पाया है. वहीं अब पता चला है कि, सरकार द्वारा रापनि को सरकारी सेवा में विलीन करने अथवा रापनि कर्मियों की वेतन वृध्दि करने के पर्याय को लेकर चर्चा की जा रही है. खुद राकांपा प्रमुख शरद पवार द्वारा इन दोनों उपायों के संदर्भ में विस्तृत जानकारी देते हुए मांगों को पूरा करने में पेश आ रही दिक्कतों तथा उपायों के बारे में जानकारी दी गई.
महाबलेश्वर में राकांपा के कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करने हेतु पहुंचे शरद पवार की रापनि कर्मचारियों के प्रतिनिधियों तथा सदाभाउ खोत के साथ करीब चार से पांच घंटे तक चर्चा हुई. इस समय उन्होंने रापनि की खस्ताहाल आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए सबसे पहले रापनि की वित्तीय स्थिति को सुधारने को लेकर चर्चा की. साथ ही कहा कि, एसटी महामंडल को राज्य सरकार में विलीन करने की मांग के मद्देनजर हाईकोर्ट द्वारा एक समिती स्थापित की गई है. जिस पर उस समिती द्वारा ही निर्णय लिया जायेगा. चूंकि यह विषय फिलहाल हाईकोर्ट की समिती के समक्ष विचाराधीन है. अत: वे इस पर कोई भी प्रतिक्रिया नहीं देंगे. किंतु इस समय रापनि में 96 हजार कर्मचारी है और रापनि सहित स्वास्थ्य सेविका, आशावर्कर व खनिकर्म कर्मचारी सहित अन्य कई महामंडल है. यदि रापनि को सरकारी सेवा में शामिल किया जाता है, तो यह सूत्र सभी पर लागू होगा. ऐसे में आर्थिक स्थिति क्या रहेगी, यह भी सरकार को देखना होगा. साथ ही शरद पवार ने यह भी कहा कि, यदि किसी कामगार द्वारा रापनि के पास नौकरी हेतु आवेदन किया जाता है, तो वह आवेदन स्टेट ट्रान्सपोर्ट के पास जाता है और नियुक्ती होने के बाद वह आवेदक उस संस्था का कर्मचारी बन जाता है. ऐसे में एक संस्था में कार्यरत कर्मचारी को दूसरी संस्था में शामिल करने की बात भी उचित नहीं है. ऐसे में वेतन वृध्दि एक बेहतरीन पर्याय हो सकता है. पवार के मुताबिक सरकार द्वारा महाराष्ट्र सहित कर्नाटक, तेलंगना, आंध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश व गुजरात के रापनि कर्मियों के वेतन की पडताल की गई है. जिसमें से गुजरात में वेतन महाराष्ट्र की तुलना में कम है. वहीं अन्य राज्यों में अधिक है. ऐसे में वेतन के फर्क को दूर करने हेतु निर्णय लिया जा सकता है. जिसे लेकर चर्चा जारी है.
* करार किससे किया जाये
इस बातचीत के दौरान शरद पवार ने कहा कि, उन्होंने विगत 30-35 वर्षों के राजनीतिक जीवन में एसटी कर्मचारियों के कई संगठनों से चर्चा की है. उस समय केवल मान्यताप्राप्त यूनियन ही चर्चा करने हेतु आया करती थी. किंतु इस समय रापनि के हडताली कर्मचारियों ने सभी यूनियनों को चर्चा से बाहर रखा है और चर्चा करने के लिए यूनियनों को अधिकार भी नहीं दिया है. वहीं कामगारों की ओर से चर्चा करने हेतु आनेवाले लोग न तो आंदोलन का हिस्सा है और नहीं ही संगठनों के पदाधिकारी है. ऐसे में सबसे बडा सवाल यह है कि, राज्य सरकार व रापनि महामंडल द्वारा हडताल खत्म कराने को लेकर करार किससे किया जाये.
* 5 से 21 हजार रूपये तक हो सकती है वेतनवृध्दि
– रापनि कर्मियों के लिए सरकार ने तैयार किया प्रस्ताव
बता दें कि, रापनि को सरकारी सेवा में विलीन किये जाने की मांग को लेकर विगत 15 दिनों से रापनि कर्मचारी आजाद मैदान में डेरा डाले बैठे है और यह हडताल खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही. ऐसे में सरकार ने अब रापनि कर्मियों के समक्ष वेतन वृध्दि का प्रस्ताव रखा है. जिसमें कहा गया है कि, रापनि कर्मियों को न्यूनतम 5 हजार रूपये से लेकर अधिकतम 21 हजार रूपये तक प्रतिमाह वेतन वृध्दि दी जायेगी. साथ ही प्रत्येक माह में 5 से 10 तारीख के बीच वेतन अदा किया जायेगा. इस सूत्र के अनुसार कम वेतन श्रेणी पर रहनेवाले कर्मचारियों के वेतन में अधिक वृध्दि की जायेगी. वहीं 50 हजार रूपये से अधिक वेतन रहनेवाले कर्मचारियों के वेतन में आंशिक यानी कम वृध्दि की जायेगी. उल्लेखनीय है कि, इस समय रापनि कर्मियों की हडताल को लेकर राज्य में राजनीतिक वातावरण जमकर तपा हुआ है और हडताली प्रतिनिधियों सहित विपक्षी नेताओं की राज्य सरकार के साथ लगातार बैठकें चल रही है.