आरटीओ के मामले में प्रधान सचिव के खिलाफ अवमान याचिका
कर्मचारी की सेवावरियता पदोन्नति का मामला, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार
यवतमाल/दि.13-परिवहन विभाग के अधिकारी ने अधिकार की पदोन्नती के लिए पात्र रहने पर भी पदोन्नती नहीं मिलने से याचिका मॅट में दायर की. मॅट ने इस मामले में स्पष्ट आदेश दिया. जिसके बाद परिवहन विभाग के अधिकारियों ने इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में गुहार लगाई. मुंबई बेंच ने मॅट के आदेश को स्थगनादेश नहीं दिया. इस पर भी ये अधिकारी नहीं रुके, उन्होंने सीधे सुप्रीम कोर्ट ने याचिका दायर की. वहां याचिकाकर्ताओं को फटकार लगाते हुए स्थगनादेश देने इनकार किया. और केस वापस लेने कहा. इतना कुछ होने के बाद भी परिवहन विभाग पदोन्नती देने तैयार नहीं. इसलिए मॅट के आदेश की अवमानना करने की याचिका सीधे प्रधान सचिव के खिलाफ दायर हुई है.
एक सहायक प्रादेशिक परिवहन अधिकारी ने पदोन्नती के लिए मॅट में गुहार लगाकर न्याय मांगा. इस प्रकरण में परिवहन विभाग ने खुद मॅट के आदेश के खिलाफ भूमिका लेकर हाईकोर्ट में अपील दायर की. कर्मचारियों के सेवावरियता प्रकरण में किसी कोर्ट ने फैसला देने के बाद उस फैसले के खिलाफ सरकार को अपील नहीं कर सकती. यह बात सर्वोच्च न्यायालय ने रुपलाल मामले में आदेश देकर स्पष्ट किया है. ऐसा करने पर उस विभाग के कर्मचारियों के एक गु्रप को सरकार की ओर से यह सहायता होती है, ऐसा भी दर्ज है. इसके बाद भी परिवहन विभाग में नियम के खिलाफ जाकर यह प्रक्रिया चलाने का जोर लगाया जा रहा है.
* निर्देश की अनदेखी
कर्मचारी के सेवावरियता प्रकरण में एकबार फैसला देने के बाद मॅट के फैसले के खिलाफ सरकार हाईकोर्ट में नहीं जा सकती, ऐसा स्पष्ट निर्देश राज्य सरकार के विधि व न्याय विभाग ने दिया. परिवहन विभाग द्वारा दो बार अपील करने हेतु पेश की फाइल, विधि व परिवहन विभाग ने खारीज की, उसे मंजूरी नहीं दी. इसके बाद भी परिवहन विभाग ने विधि व न्याय विभाग के निर्देश की ओर अनदेखी करते हुए खुद की जोखीम और जिम्मेदारी पर अपील दायर कर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया.