महाराष्ट्र

सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी के हक की अनदेखी पर अवमानना याचिका

हाईकोर्ट ने डीजीपी के नाम जारी की नोटीस

  • प्रतिज्ञापत्र के लिए 17 फरवरी तक दिया समय

मुंबई/दि.21 – करीब सवा तीन दशक तक पुलिस महकमे में सेवा देनेवाले अमोलसिंह गौर नामक अधिकारी ने पुलिस प्रशासन द्वारा किये गये अन्याय के खिलाफ सेवानिवृत्ती के बाद भी विगत पांच वर्षों से अपना संघर्ष जारी रखा है तथा हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद भी वेतनवृध्दि नहीं दिये जाने के चलते उन्होंने पुलिस महासंचालक के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की है. जिस पर आगामी 17 फरवरी तक हलफनामा पेश करने का निर्देश हाईकोर्ट द्वारा पुलिस महासंचालक को दिया गया है.
बता दें कि, जालना स्थित पुलिस प्रशिक्षण केंद्र से अमोलसिंह गौर वरिष्ठ निरीक्षक के तौर पर जून 2017 में करीब सवा तीन दशक की सेवा पूर्ण कर सेवानिवृत्त हुए. किसी सरकारी सेवक का लगातार पांच वर्षों तक गोपनीय अहवाल (एसीआर) यदि अति उत्तम (अ) अथवा दो उत्तम व अच्छा (अ या ब) रिमार्क रहने पर संबंधित कर्मचारी को अग्रीम वेतनवृध्दि दी जाये तथा प्रत्येक पांच वर्ष में इस पध्दति से उन्हें दो बार पुरस्कृत किया जाये. ऐसा परिपत्रक वर्ष 2008 में पुलिस मुख्यालय से जारी किया गया था. इसके अनुसार अमोलसिंह गौर ने वर्ष 2009-10 से 2016-17 इन आठ वर्षों के दौरान छह बार ए प्लस का रिमार्क हासिल किया. वहीं दो बार वे गंभीर रूप से बीमार थे. इसके बावजूद उन्हें बी प्लस का रिमार्क मिला. लेकिन उन्हें एक बार भी वेतनवृध्दि नहीं दी गई. जिसके बारे में आवश्यक फालोअप् लेते रहने के दौरान ही जून 2017 में अमोलसिंह गौर सेवानिवृत्त हो गये और उन्होंने मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में गुहार लगायी. किंतु खंडपीठ द्वारा वेतन वृध्दि दिये जाने का आदेश जारी करने के बावजूद भी इस पर अमल नहीं किये जाने के चलते उन्होंने अवमान याचिका दाखिल की है.
इस संदर्भ में सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी अमोलसिंह गौर का कहना है कि, वेतनवृध्दि मिलने से उन्हें कोई खास फायदा नहीं होनेवाला, किंतु उनकी लडाई प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों की नीतियों व प्रवृत्तियों के खिलाफ है, ताकि आगे चलकर किसी अन्य पर इस तरह का अन्याय न हो.

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