नागपुर/दि.19– भ्रष्टाचार प्रकरण में गिरफ्तार हुए आरोपी सरकारी कर्मचारी को निलंबित करने के आदेश देने का अधिकार एसीबी पुलिस अधीक्षक को नहीं है, ऐसा मुंबई उच्च न्यायालय के नागपुर खंडपीठ ने एक फैसले में स्पष्ट किया. न्या. नितिन सांबरे व वृषाली जोशी ने यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया.
एसीबी पुलिस ने रामटेक तहसील के बोथीया पालोरा ग्राम पंचायत में कार्यरत ग्रामविकास अधिकारी नारायण कुंभलकर को भ्रष्टाचार की शिकायत के 18 माह बाद गिरफ्तार किया था. पुलिस अधीक्षक ने 12 फरवरी 2013 को शासन निर्णय का आधार लेते हुए 21 अगस्त 2024 को जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को पत्र भेजा और कुंभलकर को निलंबित कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश दिए. इसके खिलाफ कुंभलकर ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी.
* आदेश अवैध रहने का दावा
पुलिस अधीक्षक का विवादास्पद आदेश अवैध रहने का दावा नारायण कुंभलकर ने किया था. न्यायालय ने संबंधित शासन निर्णय का अवलोकन किया तब उसने इस तरह के आदेश देने का कोई भी अधिकार पुलिस अधीक्षक को न दिए जाने की बात प्रकाश में आई. इस कारण न्यायालय ने इस बात को स्पष्ट करते हुए पुलिस अधीक्षक का विवादास्पद आदेश रद्द कर दिया. कुंभलकर की तरफ से एड. राजू कडू व एड. प्रणाली वासनिक ने कामकाज संभाला.