* राकांपा का भी मुंहतोड जवाब
मुंबई दि.3 – छत्रपति संभाजी राजे धर्मवीर नहीं थे बल्कि वह स्वराज्य रक्षक थे. उन्हें केवल धर्मवीर कहना उचित नहीं, ऐसा विपक्ष नेता अजीत पवार के विधि मंडल के वक्तव्य पर से संपूर्ण महाराष्ट्र राज्य में सोमवार को राजनीति गरमा गई.
भाजपा की आध्यात्मिक आघाडी की तरफ से अजीत पवार के निषेधार्थ संपूर्ण महाराष्ट्र राज्य के विविध शहरों में प्रदर्शन किया गया. पुणे, नाशिक में अजीत पवार का पुतला फूंका गया तथा अजीत पवार को पाकिस्तान खदेडो ऐसी मांग कल्याण के पूर्व विधायक नरेंद्र पवार ने की. भाजपा के इस प्रदर्शन को देखते हुए राकांपा ने भी मुंहतोड जवाब देते हुए छत्रपति संभाजी महाराज बाबत सावरकर व पूर्व सरसंघचालक गोलवलकर व्दारा लिखित आपत्तिजनक किताब का उदाहरण देते हुए भाजपा को परेशानी में डाल दिया. इन दोनों हिंदुत्ववादी नेताओं ने छत्रपति संभाजी राजे बाबत जो लिखा है उसका समर्थन भाजपा करेंगी क्या? ऐसा सवाल करते हुए यदि समर्थन नहीं करोगे तो सावरकर व गोलवलकर की किताबों की होली करोगे क्या? ऐसा सवाल भी राकांपा नेता जीतेंद्र आव्हाड ने किया. संभाजी राजे महाराष्ट्र धर्म के रक्षक थे. साथ ही व स्वराज्य रक्षक थे ऐसा दर्ज करते हुए भाजपा के आध्यात्मिक आघाडी के प्रमुख तुषार भोसले को संभाजी राजे का धर्मप्रेम कैसे पता चलेगा ऐसा भी अव्हाड ने कहा. राकांपा नेता एड. रुपाली पाटील ने तुषार भोसले को तुषार सालीग्राम कहते हुए उनका सरनेम उजागर किया.
* संदर्भ देखे- संभाजी राजे छत्रपति
संभाजी राजे छत्रपति ने इस विवाद में बीच में आते हुए अजीत पवार को कुछ कहते समय इतिहास का संदर्भ देखने की सलाह देते हुए उनके वक्तव्य का निषेध किया. नागपुर अधिवेशन में अंतिम प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री व्दारा दिए गए जवाब पर युक्तिवाद करते हुए अजीत पवार ने छत्रपति संभाजी महाराज युगपुरुष थे तथा वे स्वराज्य रक्षक थे. वह किसी भी एक धर्म के धर्मवीर नहीं थे, बल्कि 18 उपजाति के राजा थे ऐसा विधान किया था.