महाराष्ट्र

डॉग प्रशिक्षण पर भी कोरोना का ग्रहण

श्वानों की तंदुरुस्ती के लिए नियमित प्रैक्टिस शुुरु

हिं.स./दि.२७
पुणे– संगीन अपराधों का पता लगाने, बॉम्ब खोजने और नशीले पदार्थो को ढूंढकर निकालने में महत्वपूर्ण भूमिकाएं पुलिस डॉग स्काॅड निभाती है. लेकिन पुलिस डॉग स्काॅड का भी प्रशिक्षण कोरोना महामारी ने रोक दिया है. हालांकि श्वानों का वजन न बढ जाए और न ही वे दुबले हो जाए इसलिए उनकी नियमित प्रैक्टिस चल रही है. यहां बता दे कि, पुलिस विभाग ने आधुनिक तकनीकि का उपयोग कर अपराधियों को ढूंढकर निकाला जाता है. इतना ही नहीं तो संगीन अपराधों को भी सुलझाया जा रहा है. बावजूद इसके अपराधियों का मार्ग ढूंढने के लिए पुलिस डॉग महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है. काफ कठिन प्रशिक्षण के बाद श्वान अपना प्रदर्शन दिखाने के लिए तैयार होते है. परंतु कोरोना का प्रकोप बढने के बाद पुणे के शिवाजी नगर मुख्यालय में स्थित राज्य अपराध अन्वेषण विभाग (सीआयडी)के डॉग प्रशिक्षण केंद्र का काम फिलहाल बंद रखा गया है. यहां पर प्रशिक्षण के लिए लाए गए श्वान व उनके प्रशिक्षकों को वापस भेज दिया गया है. सीआयडी के प्रमुख अतिरीक्त पुलिस महासंचालक अतुलचंद्र कुलकर्णी ने बताया है कि श्वान केंद्रो में प्रशिक्षण के लिए लाए जाने वाले श्वानों को वापस भेजा जा रहा है. श्वान लौटने पर भी उनके साथ आने वाले प्रशिक्षकों द्वारा श्वानों को नियमित रुप से प्रक्टिस दी जा रही है. डॅागस्काड का उपयोग तीन मामलों को सुलझाने के लिए किया जाता है. जैसे अपराधों का पता लगाने के लिए, श्ववान को ट्रैकर के अलावा बाॅम्ब ढूंढने वाले श्वानों को स्निफर कहा जाता है. वहीं नशीले पदार्थो की कार्रवाई के लिए उपयोग में लाए जाने के लिए नार्को कहा जाता है.

कैसे दिया जा रहा है प्रशिक्षण
पुलिस मुख्यालय के डॉग स्काॅड टीम की ओर से श्वान के पिल्लों को खरीदा जाता है. यह पिल्लें ६ माह के होने के बाद उनकों प्रशिक्षण के लिए सीआयडी के श्वान प्रशिक्षण केंद्र में भेजा जाता है. श्ववान का प्रशिक्षण अवधि ६ से ९ महिने का होता है. प्रशिक्षण केंद्र के प्रशिक्षक की ओर से श्वान को प्रशिक्षण दिया जाता है. कठिन प्रशिक्षण मिलने के बाद श्वान पुलिस सेवा के लिए सज्ज होते है.

राज्य के पुलिस आयुक्तालय, ग्रामीण पुलिस मुख्यालय में ४६ डॉग स्काॅड राज्य पुलिस दल में ५० बाम्ब खोजी दस्ते जिनमें जर्मन शैफर्ड, लेब्रोडर, डाबरमेन, बेल्जियम मेलीनाइज प्रजाति के श्वानों का समावेश है.

प्रैक्टिस बंद होने पर श्वानों की शारीरिक क्षमता पर परिणाम हो सकता है. प्रैक्टिस के अभाव में श्वान दुर्बल भी हो सकते है. इसलिए श्वान प्रशिक्षण केंद्र कुछ अवधि के लिए बंद रखा गया है लेकिन श्वानों की नियमित प्रैक्टिस चल रही है.
-अतुलचंद्र कुलकर्णी, प्रमुख अतिरीक्त पुलिस संचालक सीआयडी

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