हिं.स./दि.२२
मुंबई/ठाणे/नाशिक-कोरोना संक्रमण की दहशत के चलते व शासन द्वारा दिए गये निर्देश अनुसार ही दुकानें शुरू रखने के अनुमति व सीमित यातायात व्यवस्था की वजह से कपड़ा उद्योग में मंदी आयी है. रेडीमेड कपड़ा विक्रेता व सिलाई काम करनेवाले व्यवसायियों के ग्राहको की संख्या घट रही है. दुकानदारों को अब दुकान का किराया, बिजली का बिल, कर्मचारियों का वेतन आदि खर्च उठाना दुभर हो रहा है. इन सभी खर्चो को लेकर दुकानदारों को खासी मशक्कत करनी पड़ रही है. संचारबंदी में शिथिलता के पश्चात कपड़ा विक्रेताओं ने अपनी दुकानें शुरू तो की. किंतु ग्राहकों में अब भी कोरोना की दहशत दिखाई दे रही है.
उल्लेखनीय है कि शादी ब्याह के मुहूर्त पर बाजारों में तालाबंदी कर दी गई थी. व्यापारियों ने शादी ब्याह के सीजन के लिए जो माल अपनी दुकानों में भर रखा था वह भी जैसा का तैसा दुकानों में धरा रह गया है. आगामी त्यौहारों के समय या फिर दीपावली के समय दुकानों में पड़ा माल बिकेगा या नहीं ऐसी भी चिंता दुकानदारों को सता रही है. सार्वजनिक समारोह पर बंधन की वजह से अब दीपावली के पश्चात ही विवाह के मुहूर्त होंगे. दीपावली के पश्चात भी कपड़ा उद्योग में गति आयेगी या नहीं यह भी प्रश्न उपस्थित हो रहा है. अनेक दुकानदारों द्वारा शंका व्यक्त की जा रही है.
कुछ लोगों का मानना है कि मार्च २१ में बंद हुआ व्यवसाय शायद फिर से गति पकड़ेगा. दुकानदारों को दीपावली में थोड़ा बहुत व्यवसाय होने की अपेक्षा है. किंतु हाल की स्थिति में दुकान शुरू करने के पश्चात दुकानदारों को खर्च उठाना महंगा पड़ रहा है. शासन द्वारा अति संक्रमित क्षेत्र को छोडक़र अन्य क्षेत्रों में सम विषय नियम न लगाते हुए सभी दुकानें शुरू करने की अनुमति मिलनी चाहिए, ऐसी मांग मुंबई (लालबाग) के महावीर कलेक्शन के राकेेश जैन ने की है. शासन कपड़ा व्यवसाय को आर्थिक रूप से सहायता प्रदान करें, ऐसा भी उन्होंने कहा है.
फिलहाल यातायात के साधन मर्यादित होने की वजह से ग्राहक दुकानदार तक नहीं पहुंच पा रहा. दिनभर में केवल एक या दो साडिय़ा बेची जाने की जानकारी दादर के सखी सहेली दुकान के संचालक मयंक सचदेव ने दी है. मॉल में सभी सुरक्षा नियम पालने की सुविधा निर्माण हो सकती है. जिसमें ग्राहक यहां आ सकता है. इसीलिए नियम के तहत मॉल शुरू करने की अनुमति प्रशासन ने देनी चाहिए, ऐसी मांग देशस्तर पर कपड़ा उत्पादन संगठना के राजीव मेहता ने की है.
राज्य के थाने शहर की संचारबंदी सोमवार से शिथिल की गई हैे. फिर भी सम-विषम नियम और सुबह ९ से शाम ५ बजे तक दुकान खुली रखने की अनुमति दी गई है. कपड़ा खरीदने के लिए ग्राहक दोपहर ३ बजे से रात ८ बजे के समय में आते है. ऐसी जानकारी शुभकन्या साड़ी के संचालक रमणिक बऊआ ने दी है. कोरोना संक्रमण की दहशत अब भी ग्राहको में व्याप्त हैे. ग्राहक खरीदी के लिए अभी भी बाहर नहीं निकला है. कपड़े की बिक्री ८५ से ९० प्रतिशत घट गई है, ऐसी जानकारी कॉटन किंग के वृषभ डागले ने दी.े कपड़ा सिलाई करनेवाले व्यवसायियों की भी यही स्थिति है. सिलाई किए कपड़ों को ग्राहक दुय्यम स्थान पर रख रहा है,ऐसी जानकारी नाशिक के डीएम टेलर्स के संचालक दिलीप सोनवणे ने दी है.
रेडीमेड कपड़ा व्यवसायी के पास दुकानों में मॉल पड़ा हुआ है. व्यवसायियों द्वारा नया ऑर्डर नहीं दिया जारहा है. जिसके फलस्वरूप १० हजार सिलाई काम करनेवाले व्यवसायी संकट में है. मुंबई और महानगर परिसर में उनका व्यवसाय ठप्प पड़ा हुआ है. बहुत से कामगार अपने-अपने प्रदेशों में चले जाने के पश्चात मुंबई में उद्योग व्यवसाय ठप्प पड़ा है. कपड़ा व्यवसाय के साथ-साथ इससे जुड़े सभी व्यवसाय में मंदी छा गई है.