नई मुंबई दि.१४ – राज्य में अब तक हुई और फिलहाल जारी मुसलाधार बारिश के बावजूद कपास का उत्पादन बढने की पूरी संभावना खानदेश मिल के अध्यक्ष प्रदीप जैन ने जतायी है. जैन के मुताबिक इस बार राज्य में एक करोड व देश में चार करोड कपास की गाठें तैयार होंगी, जो पूरी दुनिया में एक रिकॉर्ड रहेगा तथा कपास उत्पादन के मामले में भारत पहले स्थान पर रहेगा.
उन्होंने बताया कि, इस समय राज्य में केवल 10 से 20 प्रतिशत आवक शुरू है और आगामी 15 दिनों में आवक बढेगी, क्योंकि बारिश की वजह से विगत एक सप्ताह से आवक पूरी तरह ठप्प हो गयी है. आज ओपन मार्केट में निजी व्यापारियों द्वारा किसानों से 4 हजार 500 रूपये प्रति क्विंटल की दर से कपास खरीदा जा रहा है. जबकि सरकारने 5 हजार 800 रूपये प्रति क्विंटल का भाव दिया है. ऐसे में प्रति क्विंटल 1300 रूपये का फर्क रहने की वजह से किसान इस समय कपास बेचने की मनस्थिति में नहीं है. वहीं 1 नवंबर से सीसीआय व कपास फेडरेशन द्वारा कपास की खरीदी शुरू करने की संभावना है. राज्य में इस समय करीब 1 करोड और देश में 4 करोड गाठें तैयार होने का अनुमान है, जिसमें केवल पांच प्रतिशत का कम-ज्यादा फर्क हो सकता है. जिसकी वजह से भारत कपास उत्पादन के मामले में पहले स्थान पर रहेगा. इस समय राज्य में कुल 1100 से आसपास कपास मिल है. जिसमें से 10 से 20 प्रतिशत मिल शुरू है. खानदेश की 150 मिलों में 20 लाख, मराठवाडा की 500 मिलों में 40 लाख तथा विदर्भ की 450 मिलों में 40 लाख ऐसे कुल 1 करोड कपास गांठ तैयार होने का अंदाज है. इस समय कपास की गांठ को 37 हजार रूपये प्रति खंडी की दर मिल रही है. 178 कपास की गांठ 178 किलो की होती है और दो गांठों को मिलाकर 356 किलो की एक खंडी तैयार की जाती है. निजी व्यापारियों से मिल मालिक कपास खरीदी कर उनकी गांठे तैयार करते है. जिन्हें सूतगिरणी को बेचा जाता है. साथ ही कुछ व्यापारियों द्वारा एलडीसी, ओलम व रेनहार्ट जैसी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को भी कपास बेची जाती है. इन कंपनियों द्वारा कपास की गाठों को निर्यात किया जाता है.
जैन ने बताया कि, यद्यपि राज्य सरकार द्वारा कपास के लिए 5800 रूपये प्रति क्विंटल के गारंटी मूल्य की घोषणा की गई है. किंतु वहां पर भी किसानों को साढे पांच हजार रूपये से अधिक के दाम नहीं मिलेंगे. इसके साथ ही सरकारी खरीदी केंद्र पर किसानों को पहले ऑनलाईन पंजीयन कराना पडता है. 7/12 का उतारा दिखाना पडता है और कपास बेचने के बाद उसका भूगतान 15 से 30 दिनोें बाद मिलता है. जिसकी वजह से निजी व्यापारियों द्वारा कम भाव दिये जाने के बावजूद किसान उन्हें तुरंत अपनी जगह पर ही अपनी कपास बेच देता है और तुरंत भूगतान प्राप्त कर लेता है और इन निजी व्यापारियों द्वारा इस कपास को राज्य सहित अन्य राज्यों की कपास मिलों में ले जाकर बेचा जाता है.