पारिवारिक विवाद के कारण मुआवजे के इस्तेमाल पर कोर्ट ने लगा दी पाबंदी
मामले की सुनवाई 7 जनवरी 2021 तक स्थगित
मुंबई/दि.31 – मुंबई उच्च न्यायालय ने बुलेट ट्रेन के लिए अधिग्रहित जमीन को लेकर पारिवारिक विवाद को देखते हुए मुआवजे के रुप में दिए गए 5 करोड 32 लाख रुपए के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है. नेशल हाई स्पीड रेल कार्पोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) ने भिवंडी में बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए जमीन अधिग्रहिण किया है.
इस जमीन पर सोनाबाई माणिक माधवी ने तीन चौथाई हिस्सा होने का दावा किया है. माधवी के मुताबिक उसने एनएचएसआरसीएल के सामने भी अपनी आपत्ति जताई थी और मुआवजा प्रदान करने का आग्रह किया था. लेकिन उस पर गौर किए बिना ही जमीन का मुआवजा दूसरे उत्तराधिकारियों को दे दिया गया. हालांकि जमीन में उसका भी हिस्सा है. इतना ही नहीं तो वह भी जमीन के मालिक पाटिल (मृत) के कानूनन वारिश है.
न्यायमूर्ति ए.एस.सैय्यद व न्यायमूर्ति एस.पी.तावडे की खंडपीठ के सामने माधवी की याचिका पर सुनवाई ली गई थी. माधवी की ओर से पेश किए गए दस्तावेज पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा था कि प्रथम दृष्ट्या हमेे याचिकाकर्ता का दावा सही प्रतीत हो रहा है. इसके कारण इस मामले में जारी किए गए मुआवजे के इस्तेमाल पर अगली सुनवाई तक के लिए रोक लगाई जाती है. खंडपीठ ने फिलहाल मामले की सुनवाई 7 जनवरी 2021 तक के लिए स्थगित कर दी है. इस कालावधि में खंडपीठ ने एनएचएसआरसीएल को याचिकाकर्ता की जमील में हिस्सेदारी के दावे पर सोचसमझकर निर्णय लेने को कहा है.