महाराष्ट्र

अर्नब गोस्वामी को अंतरिम जमानत देने से अदालत ने किया इंकार

10 दिसंबर को होगी सुनवाई

मुंबई/दि.९ – बॉम्बे हाई कोर्ट ने इंटीरियर डिजाइनर को आत्महत्या के लिए उकसाने से जुड़े 2018 के एक मामले में सोमवार को रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी और दो अन्य लोगों को अंतरिम जमानत देने से इंकार कर दिया है.
न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ ने गोस्वामी और दो अन्य आरोपियों फिरोज शेख और नीतीश सरदा की अंतरिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि ‘मौजूदा मामले में उच्च न्यायालय द्वारा असाधारण अधिकार क्षेत्र के प्रयोग किए जाने का कोई मामला नहीं बनता है. याचिका खारिज होने के चलते गोस्वामी को अब तालोजा जेल में ही रहना पड़ेगा.
अदालत ने सोमवार को अपने आदेश में कहा कि याचिका दायर करने वालों के पास संबंधित सत्र अदालत से जमानत पाने का प्रभावी तरीका है. हम पहले ही कह चुके हैं कि अगर ऐसी कोई जमानत याचिका दायर होती है तो सत्र अदालत उस पर 4 दिनों के भीतर फैसला करे. पीठ ने कहा कि अंतरिम जमानत याचिका खारिज होने से याचिका कर्ता के समक्ष नियमित जमानत पाने का जो विकल्प है वह प्रभावित नहीं होगा. सत्र अदालत अर्जी पर गुण-दोष के आधार पर सुनवाई कर अपना फैसला देगी.
गोस्वामी के वकील गोरव पारकर ने सोमवार को बताया कि उन्होंने अलीबाग सत्र अदालत में जमानत की अर्जी दी है. सत्र अदालत फिलहाल मजिस्ट्रेट अदालत के फैसले की समीक्षा याचिका पर भी सुनवाई कर रही है. याचिका में अलीबाग पुलिस ने गोस्वामी और मामले के दो अन्य आरोपियों को पुलिस हिरासत में नहीं भेजने और उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजने के मजिस्ट्रेट अदालत के फैसले को चुनौती दी है.
गोस्वामी और दो अन्य आरोपियों फिरोज शेख तथा नीतीश सरदा ने मामले में उनकी ‘गैरकानूनी गिरफ्तारीÓ को चुनौती देते हुए अदालत से अंतरित जमानत का अनुरोध किया था. तीनों ने अंतरिम जमानत के अलावा हाई कोर्ट से अनुरोध किया था कि मामले में उनके खिलाफ जांच पर रोक लगा दी जाए और दर्ज प्राथमिकी को रद्द कर दिया जाए. प्राथमिकी रद्द करने की उनकी याचिकाओं पर अदालत 10 दिसंबर को सुनवाई करेगी.
गोस्वामी, शेख और सरदा को अलीबाग पुलिस ने आरोपियों की कंपनी द्वारा बकाया राशि का कथित रूप से भुगतान नहीं किए जाने के कारण 2018 में अन्वय नाइक और उनकी मां को कथित रूप से आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में चार नवंबर को गिरफ्तार किया था. मुंबई स्थित आवास से गिरफ्तार किए जाने के बाद गोस्वामी को अलीबाग ले जाया गया जहां मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (मजिस्ट्रेट) ने उन्हें पुलिस हिरासत में भेजने से इंकार कर दिया. अदालत ने गोस्वामी और दो अन्य आरोपियों को 18 नवंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया. गोस्वामी को शुरुआत में एक स्थानीय स्कूल में रखा गया जो अलीबाग जेल के लिए अस्थाई कोविड-19 केन्द्र का काम कर रहा है. न्यायिक हिरासत में कथित रूप से मोबाइल फोन का उपयोग करते पकड़े जाने पर गोस्वामी को रायगढ़ जिले की तलोजा जेल भेज दिया गया.

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