महाराष्ट्र

पलायन रोकने दीर्घकालीन योजना बनाए राज्य सरकार

मेलघाट को लेकर हाईकोर्ट ने दिए निर्देश

मुंबई/दि.28– बॉम्बे हाईकोर्ट ने मेलघाट से लोगों के पलायन को रोकने के लिए राज्य सरकार को दीर्घकालीन योजना बनाने के निर्देश दिए हैं. इसके साथ ही कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि, क्या आदिवासी इलाकों में रहने वालों को महात्मा गांधी नेशनल रुरल इंप्लायमेंट एक्ट (मनरेगा योजना) के तहत रोजगार दिया जा सकता है.
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक खंडपीठ ने मेलघाट में कुपोषण से बच्चों व गर्भवती महिलाओं की होने वाली मौत को लेकर साल 2007 में दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि, यदि आदिवासी लोगों को उनके गांव में ही रोजगार दिया जाए तो इन लोगों को पलायन की जरुरत नहीं महसूस होगी. क्या मेलघाट व आदिवासी इलाके में रहने वाले लोगों को मनरेगा योजना के तहत रोजगार दिया जा सकता है? यदि सरकार चाहती है कि, पलायन न हो तो इसके लिए सरकार को रोजगार के स्त्रोत खोजने होंगे. सरकार जब इस बारे में योजना बनाए तो इसे उसमें शामिल करें. इसके साथ ही सरकार ऐसी योजना बनाए जिससे हर आदिवासी तक पहुंचा जा सके.
* अगले माह से फिर मिलेगा गरम भोजन
खंडपीठ ने कहा कि, चूंकि सरकार ने मेलघाट इलाके में कुपोषण से बच्चों की मौत को रोकने के लिए नागपुर परिक्षेत्र के विशेष पुलिस महानिरिक्षक छेरिंग दोरजे की रिपोर्ट के आधार पर अल्पकालिक योजना पर काम शुरु कर दिया है. इसलिए हम 15 दिन की बजाय अब एक माह के अंतराल पर इस याचिका पर सुनवाई करेंगे. वहीं राज्य के महाधिवक्ता ने कहा कि, कोरोना के चलते ताजा भोजन उपलब्ध कराना बंद कर दिया गया था, लेकिन सरकार ने लोगों को राशन घर ले जाने का विकल्प जारी रखा था. अगले माह से गरम भोजन उपलब्ध कराने की व्यवस्था शुुरु कर दी जाएगी. खंडपीठ ने फिलहाल याचिका पर सुनवाई 28 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी है.

* कुपोषण से होने वाली बच्चों की मौत में आई कमी
सुनवाई के दौरान सामाजिक कार्यकर्ता बंडू साने ने कहा कि, अगस्त 2021 तक हर माह कुपोषण से 40 बच्चों की मौत होती थी लेकिन नवंबर 2021 से जनवरी 2022 के बीच हर माह कुपोषण से 20 बच्चों की मौत हो रही है. इस तरह कुपोषण से होने वाली बच्चों की मौत की संख्या में गिरावट दिख रही है. इस पर खंडपीठ ने कहा कि, ऐसा प्रतीत होता है कि, सरकार ऐसे ठोस कदम नहीं उठा रही है जिससे कुपोषण से बच्चों की बिल्कुल भी मौत न हो. खंडपीठ ने राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी से पूछा कि, सरकार ने आदिवासी इलाके में गरम भोजन उपलब्ध कराने की व्यवस्था को बंद क्यों कर दी है. यह काफी आहत करता है.

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