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राजनीतिक वजहों के चलते राणा दम्पति पर दर्ज हुआ था अपराध

राणा दम्पति के वकील ने दी विशेष कोर्ट को जानकारी

मुंबई/दि.12- अमरावती की निर्दलीय सांसद नवनीत राणा तथा उनके पति व विधायक रवि राणा पर राजनीतिक द्वेष भावनाओं के चलते राजद्रोह का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ अपराधिक मामला दर्ज किया गया था. ऐसा दावा राणा दम्पति के वकील ने मुंबई की विशेष अदालत में किया.
बता दें कि, मुंबई पुलिस ने सांसद नवनीत राणा व विधायक रवि राणा की जमानत को रद्द कराने हेतु विशेष न्यायालय में अपील कर रखी है. जिस पर कल गुरूवार को अभियोजन पक्ष व बचाव पक्ष के वकीलों का युक्तिवाद पूर्ण हुआ. वही विशेष न्यायालय के न्या. आर. एन. रोकडे ने इस मामले में अपना फैसला 22 अगस्त तक सुरक्षित रखा है.
राणा दम्पति की ओर से अदालत में पेश हुए एड. रिजवान मर्चंट ने कहा कि, सर्वोच्च न्यायालय ने राणा दम्पति के खिलाफ राजद्रोह की धारा के तहत दायर किये गये सभी तरह के मामलों को स्थगित कर दिया है. ऐसे में मुंबई पुलिस द्वारा इस आदेश पर पुनर्विचार करने हेतु आवेदन नहीं किया जा सकता, बल्कि अब राणा दम्पति के खिलाफ केवल धारा 153 (अ) के तहत दो समूहों में तनाव पैदा करने को लेकर ही कार्रवाई की जा सकती है.
बता दें कि, राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री व शिवसेना के पार्टी प्रमुख उध्दव ठाकरे के निजी निवास ‘मातोश्री’ बंगले के सामने राणा दम्पति द्वारा हनुमान चालीसा का पाठ करने की घोषणा की गई थी. जिसके चलते 23 अप्रैल को मुंबई पुलिस ने राणा दम्पति को हिरासत में लिया था और उन्हें न्यायिक हिरासत के तहत मुंबई की दो अलग-अलग जेलों में रखा गया. करीब 14 दिन बाद 5 मई को न्यायालय ने उन्हें सशर्त जमानत देते हुए जेल से रिहा किया. रिहाई की शर्तों में मीडिया के सामने कोई बयानबाजी नहीं करने की शर्त का भी समावेश था. किंतु जेल से बाहर आते ही राणा दम्पति ने मीडिया के साथ बातचीत की. जिसके चलते राणा दम्पति पर रिहाई की शर्तों को भंग करने का आरोप लगाते हुए मुंबई पुलिस ने उन्हें दी गई जमानत को खारिज करने की अपील की है. जिसे लेकर राणा दम्पति की ओर से अदालत को बताया गया कि, इस विषय के संदर्भ में राणा दम्पति केवल एक बार मीडिया के साथ संवाद साधा, जिसमें कोई आपत्तिजनक बयान नहीं दिया गया और अदालत की अवमानना करनेलायक कोई कृत्य भी नहीं किया गया. वही राणा दम्पति द्वारा मीडिया के साथ की गई बातचीत का ब्यौरा या वीडियो क्लिप भी अभियोजन पक्ष की ओर से अदालत के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया है.

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