महाराष्ट्र

सांगली में बाढ़ के बाद घरों की छत पर नजर आए मगरमच्‍छ

लोगों में दहशत

सांगली/दि. 28  – भीषण बारिश के बाद आई बाढ़ और लैंडस्लाइड की घटनाओं में अब तक 209 लोगों की मौत हो चुकी है. उधर सांगली में भारी बारिश और बाढ़ के बाद आवासीय इलाकों में मगरमच्‍छ देखे जाने के बाद वन विभाग के अधिकारियों ने सरीसृपों को बचाने और मानव-पशु संघर्ष की घटनाओं से बचने के लिए ऐसे क्षेत्रों में छह केंद्र स्थापित किए हैं. जैसे ही बारिश की तीव्रता कम हुई और कृष्णा नदी के किनारे के गांवों में जल स्तर कम होने लगा इसके बाद सड़कों, नालों और यहां तक कि घरों की छतों पर भी मगरमच्छ देखे गए, जिससे लोगों में दहशत फैल गई.
ऐसी वीडियोज सामने आई हैं जिनमें घरों की छतों पर और गलियों में मगरमच्छ घूमते नज़र आ रहे हैं. वन अधिकारियों के अनुसार, भीलवाड़ी, मालवाड़ी, दिगराज, औदुम्बरवाड़ी, चोपडेवाड़ी और ब्रह्मनाल सहित लगभग 15 गांवों से गुजरने वाली नदी के 60-70 किमी के हिस्से में मगरमच्छ रहते हैं. पूर्व में भी इनमें से कुछ क्षेत्रों में मानव-पशु संघर्ष की घटनाएं हो चुकी हैं. सांगली रेंज के क्षेत्रीय वन अधिकारी पी जी सुतार ने कहा, “हाल ही में हुई भारी बारिश के दौरान कुछ गांवों में मगरमच्छ बाढ़ के पानी के साथ बह आए हैं.”

  • घर की छत पर देखा गया मगरमच्छ

एक घर की छत पर भी मगरमच्छ देखा गया था, लेकिन बाद में ये पानी के प्रवाह के साथ नदी में लौट गया था. उप वन संरक्षक (सांगली) विजय माने ने कहा कि वन विभाग ने अब इन स्थानों से मगरमच्छों को बचाने के लिए सांगली शहर के कुछ बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों, कवठे महाकाल, पलुस, कडेगांव, वालवा और तसगांव के कुछ हिस्सों के पास छह बचाव केंद्र स्थापित किए हैं. उन्होंने कहा कि इन बचाव केंद्रों पर वन अधिकारी, गार्ड और वन्यजीव संरक्षण के लिए काम कर रहे गैर सरकारी संगठनों के सदस्य मानव आवासों में मगरमच्छों, सांपों, घायल पक्षियों और अन्य जंगली जानवरों से संबंधित मामलों में जवाब देंगे. इसके लिए हमने एक टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर (1926) और वन अधिकारियों और एनजीओ सदस्यों के व्यक्तिगत नंबर भी जारी किए हैं.

अगर कोई मगरमच्छ या किसी अन्य जंगली जानवर की उपस्थिति के बारे में सूचना मिलती है तो नजदीकी केंद्र से टीम वहां जाएगी, जानवर को बचाएगी और उसे उसके प्राकृतिक आवास में छोड़ने की प्रक्रिया शुरू करेगी.” उन्होंने कहा कि इन बचाव केंद्रों का उद्देश्य जंगली जानवरों को किसी भी तरह के नुकसान को रोकना और मानव-पशु संघर्ष की घटनाओं को कम करना है. सांगली में एनजीओ नेचर कंजर्वेशन सोसाइटी के सदस्य तबरेग खान ने दावा किया कि अंधाधुंध रेत उत्खनन गतिविधियों के कारण कृष्णा नदी के किनारे मगरमच्छों का प्राकृतिक आवास नष्ट हो गया है. अब, बाढ़ के दौरान, जानवर आसानी से गांवों की ओर बह जाते हैं,” उन्होंने लोगों से अपील की कि वे मगरमच्छों को नुकसान न पहुंचाएं और अगर वे अपने क्षेत्र में सरीसृप देखते हैं तो वन विभाग और गैर सरकारी संगठनों को सूचित करें. एनजीओ के एक अन्य सदस्य अमोल जाधव ने लोगों से कहा कि घबराये नहीं, इन दिनों मगरमच्‍छ के गांव में घुसने के बहुत से वीडियो वायरल हो रहे हैं लेकिन उनमें से ज्‍यादातर सांगली में 2019 की बाढ़ के हैं या देश के अन्‍य हिस्‍सों के हैं.

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