
* ग्रीष्म में राहत देेते हैं कैरी पना, श्रीखंड
अमरावती / दि. 29-अक्षय तृतीया पर पितरों को नैवेद्य अर्पण करने की परंपरा हैं. अत: शहर के गाडगेनगर से लेकर रवि नगर और अन्य भागों ें में सडक किनारे सजे वस्तुओं के स्टॉल पर भारी भीड हो गई है. विभिन्न पकवान घर- घर बनाए जाते हैं. जिन्हें हरी पत्रावली पर परोसकर अर्पण किया जाता है. इसमें कैरी का पना, तिल, फली दाना, खोबरा और इमली मिलाकर तैयार किया गया पंचामृत, सेवैया, कुरोडी आदि का समावेश होता है. कैरी का पना और इमली का पेय ग्रीष्मकाल में शरीर के लिए स्वास्थ्यदायक और शीतल होता है.
इन चीजों को तैयार करने के लिए लगनेवाली सामग्री विभिन्न स्टॉल पर विक्री हेतु उपलब्ध है. ग्राम और तोला में वजन कर यह वस्तुएं किफायती दाम पर बेची जा रही है. गहुला- कचुला यह दो आयुवैर्दिक औषधी के साथ ही सुगंधित और शीतल है. इनकी बडे प्रमाण में खरीदी हो रही है.
आसमान से सूरज आंखे तरेर रहा है. ऐसे में शीतल रखनेवाले पदार्थो का सेवन करने की परंपरा है. इसीलिए कई घरों में अक्षय तृतीया की परंपरा गेहूं को बगैर पीसे केवल कूटकर उसका खींचडा बनाने का प्रचलन है. साथ में मंगोडी की सब्जी बनाई जाती है. अक्षय तृतीया पर ही मंगोडी को पीसा या टुकडा न करते हुए साबूत मंगोडी की सब्जी बनाई जाती है.
* क्या कहते हैं आहार तज्ञ
पीडीएमएमसी की आहार तज्ञ डॉ. उज्वला ढेवले ने कहा कि गर्मी के दिनों में शरीर का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए. ऐसे में हमारे पारंपरिक पदार्थ कैरी का पना, चिंचोना का सेवन शरीर को शीतल रखता है. उन्होंने पानी का प्रमाण भी ठीक रखने की सलाह दी.