महाराष्ट्र

नौ साल की बच्ची की कस्टडी उसकी मां को दी जाएं

हाईकोर्ट का आदेश

* कहा-अच्छी पत्नी नहीं होने का मतलब वह अच्छी मां नहीं, ऐसा नहीं
मुंबई/दि.20-एक अच्छी पत्नी नहीं होने का मतलब यह नहीं है कि संबंधित महिला एक अच्छी मां नहीं है. यह देखते हुए कि व्यभिचार तलाक का आधार हो सकता है, यह किसी बच्चे की हिरासत न रखने का आधार नहीं हो सकता, यह निरीक्षण दर्ज करते हुए उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं को नौ वर्षीय लडकी की हिरासत उसकी मां को सौंपने का आदेश दिया है.
एक पूर्व विधायक के बेटे ने अपनी बेटी की कस्टडी अपनी पत्नी से पाने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की है, जिस पर सुनवाई जस्टिस राजेश पाटिल की एकल पीठ के समक्ष हुई. विधायक के बेटे की शादी 2010 में हुई थी. इस दंपत्ति को 2015 में कन्यारत्न प्राप्त हुआ. तथापि,
उसके बाद महिला ने दावा किया कि उसके ससुराल वालों ने उसे बाहर निकाल दिया, जबकि याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि पत्नी स्वेच्छा से घर छोड़कर चली गई. 2020 में महिला ने पुलिस से शिकायत की थी कि उसका ससुर उसे परेशान कर रहा है और जबरन उसकी बेटी की कस्टडी ले रहा है. ससुराल वालों के खिलाफ घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत ससुरालवालों के खिलाफ शिकायत की तथा लडकी की कस्टडी पाने के लिए फैमिली कोर्ट में शिकायत भी दायर की गई थी. फिर पति ने तलाक के लिए फैमिली कोर्ट में अर्जी दी. फरवरी 2023 में फैमिली कोर्ट ने नौ साल की बच्ची की कस्टडी पत्नी को सौंपने का फैसला किया. जिसके खिलाफ पति ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की.

* याचिका खारिज
पति की ओर से वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंगानी ने दलील दी कि बेटी को मां की कस्टडी में रखना अनुचित है क्योंकि महिला का विवाहेतर संबंध है. उच्च न्यायालय ने उपरोक्त टिप्पणी की और याचिका खारिज कर दी.

* पति ने क्या दावा किया?
-पति ने दावा किया कि लडकी अपनी मां से खुश नहीं थी. यह भी दावा किया गया कि लडकी का अपने माता-पिता और हमारे साथ रहना सही है. अदालत ने यह भी दर्ज किया कि याचिकाकर्ता की मां लोकसभा चुनाव लडने की इच्छुक हैं.
– लडकी नौ साल की है. जो कि युवावस्था से पहले की उम्र है और ऐसे मामलों में अदालत को बच्चे के कल्याण को महत्वपूर्ण मानना चाहिए, ऐसे में बेटी की कस्टडी मां से अलग करने का कोई कारण नहीं है, ऐसा कहते हुए कोर्ट ने पिता को 21 अप्रैल तक बेटी की कस्टडी मां को सौंपने का आदेश दिया.

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