महाराष्ट्र

ग्राहक आयोग अध्यक्ष व सदस्य नियुक्ति का वादग्रस्त नियम रद्द

मुंबई उच्च न्यायालय के नागपुर खंडपीठ का बड़ा निर्णय

मुंबई/दि.१५ – मुंबई उच्च न्यायालय के नागपुर खंडपीठ ने मंगलवार को राज्य व जिला ग्राहक शिकायत निवारण आयोग अध्यक्ष व सदस्य नियुक्ति बाबत का वादग्रस्त नियम घटनाबाह्य ठहराते हुए रद्द किया. न्यायमूर्तिद्वय सुनील शुक्रे व अनिल किलोर ने यह फैसला सुनाया.
केंद्र सरकार की ओर से 15 जुलाई 2020 को जारी अधिसूचना व्दारा लागू किए गए ग्राहक संरक्षण (राज्य व जिला आयोग के अध्यक्ष व सदस्य की पात्रता, भारत की पद्धति, नियुक्ति की प्रक्रिया, कार्यालय की शर्त, इस्तीफा व पद से कम करने की प्रक्रिया) नियम के 3 (2)(बी), 4 (2)(सी) व 6 (9) यह निर्णय इस फैसले के कारण अवैध ठहराये गए है. ये नियम सर्वोच्च न्यायालय ने एमबीए-2020, एमबीए-2021 व युपीसीपीबीए प्रकरण में दिये गए निर्देशों का उल्लंघन करने वाले हैं. ऐसा भी इस निर्णय में स्पष्ट किया गया. इस नियम के विरुद्ध एड. महेन्द्र लिमये (नागपुर) व एड. विजयकुमार दिघे (मुंबई) ने अलग-अलग याचिका दाखल की थी.
3 (2) (बी) नियम व्दारा राज्य आयोग सदस्य पद के लिए ग्राहक व्यवहार,विधि,सार्वजनिक व्यवहार, प्रशासन, अर्थ, वाणिज्य, उद्योग, वित्त,व्यवस्थापन, अभियांत्रिकी, तकनीकी ज्ञान, सार्वजनिक स्वास्थ्य या औषधि इन क्षेत्रों में कम से कम 20 वर्ष का अनुभव तो 4 (2)(सी) नियम व्दारा जिला आयोग सदस्य पद के लिए इस क्षेत्र में कम से कम 15 वर्ष का अनुभव होना आवश्यक किया गया था. वहीं 6 (9) इस नियम से चयन समिति को उम्मीदवारों की नियुक्ति की सिफारिश करने के संदर्भ में स्वयं की प्रक्रिया निर्धारित करने का अधिकार प्रदान किया गया था. इन तीनों पर याचिकाकर्ताओं का आक्षेप था.

  • नए नियम तैयार करें

घटनाबाह्य ठहराए गए नियमों के स्थान पर चार सप्ताह में नये नियम तैयार करने के निर्देश उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को दिए. सर्वोच्च न्यायालय ने एमबीए-2020 व यूपीसीपीबीए प्रकरणों के निर्णयों में न्यायिक सदस्य नियुक्ति के लिए विधि व अन्य क्षेत्र में 10 वर्ष का अनुभव होने की बात स्पष्ट की है. बावजूद इसके आयोग के अध्यक्ष व सदस्य नियुक्ति की प्रक्रिया न्यायाधीश नियुक्ति की प्रक्रिया से सुसंगत होना आवश्यक है. नये नियम तैयार करते समय इस बारे में विचार किया जाये, ऐसा केंद्र सरकार को बताया गया.

  • 33 पदों का विज्ञापन कानून के खिलाफ

राज्य आयोग अध्यक्ष के 1 व सदस्यों के 7 तो जिला आयोग अध्यक्ष के 12 व सदस्यों के 13 ऐसे कुल 33 पदों की भर्ती के लिए 2 फरवरी 2021 को प्रकाशित किया गया विज्ञापन व उस पर अब तक हुई सभी प्रक्रिया उच्च न्यायालय ने कानून के खिलाफ ठहराकर रद्द की है. वहीं यह पद भरने के लिए सुधारित नियमानुसार नई प्रक्रिया चलाये जाने के निर्देश राज्य सरकार को दिए.

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