महाराष्ट्र

मानसून में विलंब के कारण बांधों का जलस्तर तेजी से घट रहा

पिछले वर्ष की तुलना में 4 फीसद जलसंग्रहण कम

पुणे/दि.23- राज्य में नैऋत्य मोसमी हवाएं दाखल होेने में विलंब होने के साथ ही बारिश ने काफी देरी कर दी है. जिसके चलते राज्य के बांधों का जलसंचयन तेजी से कम हुआ है. करीबन 60 बांधों का पानी पूरी तरह से कम हो गया है. शेष बांधों के पानी की स्थिति भी चिंताजनक है. जून महीने में राज्य के छहों विभागों के बांधों का जलस्तर 23 प्रतिशत पर आ गया है. वह गत वर्ष से चार प्रतिशत से कम है.
जलसंपदा विभाग के अमरावती, छत्रपति संभाजी नगर, कोकण, नागपुर, नाशिक व पुणे यह न 6 प्रादेशिक विभाग है.इन विभागों में 2989 बड़े व 2590 मध्यम प्रकल्प है. इसके अलावा कोल्हापुर पद्धति के बंधारे, सीमेंट बंधारे व छोटे तालाब है. गत अनेक वर्ष में मुख्य बांधों के क्षेत्र में बारिश के दिनों में जोरदार वर्षा होने से व जून में बारिश की शुरुआत होने के कारण बांधों में औसत जलसंचयन शेष रहता है. मात्र, इस बार बिपरजॉय चक्रवाती हवाएं, बंगाल के उपसागर में कम दाब के पट्टे समय पर तैयार न होने, समुद्र में तूफान सदृश्य स्थिति ऐसे विविध कारणों से केरल में मोसमी हवाएं पहुंचने में विलंब हुआ. वास्तविक जून महीने के आखिर तक राज्य में सभी ओर बारिश स्थिर रहता है. इस बार वातावरण में बदल के कारण बारिश में देरी हो रही है. उसका असर राज्य के बांधों के जलसंचयन पर हुआ है. राज्य के 60 से अधिक बांधों में शून्य प्रतिशत पानी जमा है. बड़े बांध वाले उजनी, कोयना, गोसी खुर्द इन बांधों का जलसंचयन अत्यंत नीच के स्तर पर पहुंचने की जानकारी जलसंपदा विभाग द्वारा दी गई.
खडकपूर्णा, बोरगांव अंजनापुर, माजलगांव, मांजरी, रोशनपुरी, सिरसमार्ग, खिराडपुरी, लिंबाला, मदनसुरी, राजेगांव, सीना कोलेगाव, बिंडगिहल, कारसा पोहरेगांव, खुलगापर, साई, धामणी, बावनथडी, शिरपुर, नंद, धाम डैम, भावली, चणकापुर, दरणा, काडवा, कारंजवण, पुणेगांव, तिसगांव, वैतरणा, वाघड, वाकीडैम, दुधगंगा, राधानगरी, तिल्लरी (धामणी), तुलसी, निरा-देवघर, डिंभे, चासकमाण, पिंपलगांव जोगे, वडज, माणिकडोह, घोड, पवना,भाटघर, पानशेत, वरसगांव, गुंजवणी, टेमघर, मुलशी टाटा, लोणावला टाटा, वारणा, धोम बलकडी, धोम, कोयना, कान्हेर, वीर, उजनी इन बांधों का जलसंचयन 0 से 20 प्रतिशत के आसपास पहुंचा है. फिलहाल राज्य के सभी बांधों में कुल मिलाकर 23.05 प्रतिशत जल जमा है. गत वर्ष इसी समय में 26.72 प्रतिशत पानी था. गत वर्ष की तुलना में जलसंचयन 3.67 प्रतिशत से कम होने के कारण बारिश मे देरी होने से पानी की भीषण किल्लत होने का भय है.
* 60 प्रतिशत नदियां सूखी
नागपुर- राज्य की नदियां फिलहाल मरणासन्न अवस्था में होने से चला जाणू या नदीला इस अभियान अंतर्गत किए गए निरीक्षण में पाया गया है. राज्य की 60 प्रतिशत नदियां पूरी तरह सूख गई है. शेष 40 प्रतिशत नदियों को नाले का स्वरुप आने की जानकारी जलतज्ञ व इस उपक्रम के प्रणेता राजेंद्र सिंग ने दी.

 

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