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महाराष्ट्र पर ड्रोन से हमले का खतरा

डार्कवेब पर बनाई गई प्लानिंग

* गणतंत्र दिवस पर आतंकी हमले की योजना
* प्रशासन व सुरक्षा एजेंसियां हुई अलर्ट
मुंबई/दि.12– इस समय प्रजासत्ताक दिवस मनाये जाने में करीब दो सप्ताह का वक्त बचा हुआ है. वहीं महाराष्ट्र पर आतंकवादी हमले का खतरा मंडराता दिखाई दे रहा है. विशेष उल्लेखनीय यह है कि, इस बार राज्य पर ड्रोन के जरिये हमला किये जाने का खतरा देखा जा रहा है. इसे लेकर केंद्रीय जांच एजेंसियों के द्वारा राज्य सरकार को सतर्क रहने की चेतावनी जारी की गई है. जिसके चलते मुंबई सहित महाराष्ट्र के सभी प्रमुख शहरों को अलर्ट पर रखा गया है. साथ ही नागरिकों को भी पूरी तरह से सतर्क रहने की चेतावनी दी गई है.
सूत्रों के मुताबिक जांच एजेंसियों को हाल ही में यह जानकारी मिली कि, डार्कवेब का प्रयोग करते हुए आतंकवादियों द्वारा मुंबई सहित महाराष्ट्र के कुछ शहरों में ड्रोन के जरिये हमला करने से संबंधित बातचीत की गई है. इस बातचीत में आतंकी प्रवृत्ति के लोगों द्वारा ड्रोन हमले सहित रासायनिक हमले व साईबर हमले के बारे में चर्चा की जा रही है.
बता दें कि, सरफेस इंटरनेट की तुलना में डार्कनेट या डार्कवेब की व्याप्ती 99 फीसद है और टोर ब्राउजर को डार्कनेट में प्रयोग किया जाता है. जिसे आसानी से ट्रेस नहीं किया जा सकता. क्योेंकि इसमें कई प्रॉक्सि बाउंसिंग का प्रयोग किया जाता है. वहीं ड्रोन हमला अपने आप में काफी खतरनाक हो सकता है. क्योंकि ड्रोन हमले में 20 से 30 किमी की दूरी से भी निशाना साधा जा सकता है और ड्रोन पर घातक हथियारों से लैस पेलोड भी लगाया जा सकता है. वहीं ड्रोन का प्रयोग करनेवाले अपराधियों को बैक ट्रैक करना आसान भी नहीं होता. ऐसे में केंद्रीय जांच एजेंसी ने महाराष्ट्र में जल्द से जल्द ड्रोन विरोधी व्यवस्था उपलब्ध कराने की मांग की है.

* महाराष्ट्र ट्रान्सको पर हो चुका है साईबर हमला
बता दें कि इससे पहले 12 अक्तूबर 2020 को मुंबई सहित आसपास के परिसर की विद्युत आपूर्ति अचानक ही खंडित हो गई थी. पश्चात की गई जांच में पता चला था कि, यह एक तरह का साईबर हमला था और महाराष्ट्र ट्रान्सको के सर्वर पर 13 ‘ट्रोजन हॉर्स’ पाये गये थे. जिसके मद्देनजर महाराष्ट्र सरकार द्वारा देश में पहली बार साईबर सुरक्षा प्रकल्प की स्थापना का काम शुरू किया गया. जिसके तहत नवी मुंबई के निकट महापे परिसर में 1 लाख चौरस फीट की जगह अधिग्रहित की गई. जहां पर करीब 900 करोड रूपयों की लागत से यह प्रकल्प स्थापित किया जायेगा.

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