महाराष्ट्र

विवाह होने के बाद भी बेटी का पिता की संपत्ति पर अधिकार

अदालत ने भाई को दिया बहन के लिए प्रतिमाह खर्च देने का आदेश

मुंबई/दि.28– अमूमन पति-पत्नी में अलगाव होने के बाद अदालत द्वारा पति को आदेश दिया जाता है कि, वह पत्नी को खावटी यानि हर महिने निर्वाह हेतु एक निश्चित रकम अदा करे, परंतु इस बार मुंबई के दंडाधिकारी न्यायालय ने एक भाई को आदेश दिया है कि, वह अपनी बहन को हर महिने देखभाल खर्च अदा करे. साथ ही अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि, विवाह हो जाने के बाद बेटी का अपने मायके से रहने वाला संबंध टूट नहीं जाता, बल्कि पिता की संपत्ति पर उसका भी बराबर अधिकार होता है. यह कहने के साथ ही अदालत ने अपने पति से अलग होकर मायके लौटी बहन के निर्वाह हेतु हर महिने 8 हजार रुपए का देखभाल खर्च देने का आदेश भाई को दिया है.
इस संदर्भ में मिली जानकारी के मुताबिक अदालत पहुंची महिला का सन 1987 में विवाह हुआ था और वर्ष 1993 में वह अपने पति से अलग होकर अपने मायके वापिस चली आयी थी. जहां पर पिता के जीवित रहने तक उसकी अच्छी से देखभाल हो रही थी. परंतु पिता की मौत के बाद उसके भाई-भाभी ने उसे प्रताडित करना शुरु किया. साथ ही जब उसने अपने पिता की संपत्ति में हिस्सा मांगा, तो वह देने से भी भाई ने इंकार कर दिया. ऐसे में उक्त महिला ने दंडाधिकारी अदालत में न्याय की गुहार लगाते हुए अपने साथ हो रही प्रताडना की शिकायत जनवरी 2014 में दर्ज कराई. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने उक्त महिला के भाई को आदेशित किया कि, वह अपनी बहन के साथ किसी भी तरह की प्रताडना न करे. साथ ही उसे हर महिने 8 हजार रुपए का देखभाल खर्च दे.

* महिला ने रखा अपना पक्ष
शिकायतकर्ता महिला द्वारा अदालत में गुहार लगाते हुए बताया गया कि, भाई एवं भाभी की ओर से हमेशा की जा रही प्रताडना के बाद मैंने पारिवारिक हिंसाचार की शिकायत दर्ज कराई. जिसके बाद भाई ने घर से बाहर निकाल दिया और रसोई घर और स्वच्छतागृह में जाने से भी रोका. जिसकी वजह से मुझे इमारत की छत पर रहना पडा.

* भाई ने रखा अपना पक्ष
इस मामले में शिकायतकर्ता महिला के भाई ने दंडाधिकारी न्यायालय में युक्तिवाद करते हुए बताया कि, उसकी बहन का उसके पति से तलाक नहीं हुआ है. ऐसे में उसने अपनी ससुराल में जाकर रहना चाहिए. साथ ही जिस घर में वह रह रहा है. वह घर उसके पिता का नहीं है, बल्कि खुद उसने अपने पैसों से बनाया है. जिसके चलते उस घर में बहन द्वारा हिस्सा मांगने का सवाल ही नहीं उठता. साथ ही उसकी बहन को मायके में रहने का कोई अधिकार नहीं है.

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