बेटी कोई संपत्ति नहीं, जिसे दान में दिया जाए ः अदालत
मुंबई/दि.29– बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद पीठ ने एख व्यक्ति द्वारा अपनी 17 वर्षीया बेटी को तांत्रिक को दान करने के मामले में कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि लड़की कोई संपत्ति नहीं, जिसे दान में दिया जाए. न्यायमूर्ति विभा कंकनवाड़ी की एकल पीठ ने यह टिप्पणी सि माह की शुरुआत में तांत्रिक शंकेशस्वर ढाकने और उसके शिष्य सोपान ढाकने की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान की है. दोनों को नाबालिग लड़की के साथ कथित दुष्कर्म के मामले में गिरफ्तार किया गया है. दोनों अभियुक्त जालना जिले के बदनापुर स्थित मंदिर में इस लड़की और उसके पिता के साथ रहतेत थे.
लड़की ने अगस्त 2021 में दोनों के खिलाफ दुष्कर्म के आरोप के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई थी, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था. न्यायमूर्ति क्ककनवारी ने अपने आदेश में अभियोजन के मामले का संज्ञान लिया कि 2018 में 100 रुपए के स्टाम्प पेपर पर लड़की के पिता और ढाकने के बीच अपने तरह का दानपत्र का निष्पादन किया गया था.
अदालत ने अपने आदेश में कहा किक आदमाी ने अपनी बेटी का दान बाबा को दे दिया था. यह भी कहा गया कि यह कन्यादान भगवान के समक्ष किया गया है. लड़की के खुद के बयान के अनुसार वह नाबालिग है, फिर उसके पिता ने उस लड़की का दान क्यों कर दिया. जबकि वह व्यक्ति खुद उसका अभिभावक है. न्यायमूर्ति कंकन वाड़ी ने इसे परेशान करने वाला तथ्य बताया और कहा, लड़की कोई संपत्ति नहीं होती, जिसे दान में दिया जा सके, अदालत ने कहा कि वह लड़की के भविष्य को लेकर चिंतित है और अपनी आंखें बंद नहीं कर सकती.