महाराष्ट्र

बेटियां मां के साथ नहीं जाना चाहती थीं अमेरिका, पिता को मिली कस्टडी

मुंबई/दि.26 – नाबालिग बेटियों की अमेरिकी नागरिक मां के साथ रहने की अनिच्छा को देखते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने भारत में रह रहे पिता को उनकी कस्टडी सौंप दी है. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया है कि याचिकाकर्ता बेटियों की मां है. सिर्फ इसलिए लड़कियों की कस्टडी उन्हें नहीं सौंपी जा सकती है. बेटियों को कोर्ट में हाजिर करने की मांग को लेकर अमेरिकी नागरिक मां ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका में मां ने आग्रह किया था कि उसे उसकी बेटियां सौंपी जाए. क्योंकि उससे अलग हो चुके उसके पति बेटियों को अवैध रूप से अमेरिका से अगस्त 2018 में सिर्फ दो सप्ताह के लिए भारत लाए थे. फिर वे अमेरिका नहीं आए. यह अमेरिकी कोर्ट में बच्चों की कस्टडी को लेकर दिए गए आदेश के खिलाफ है. यही नहीं मेरे पति ने कोर्ट में दिए गए सहमति पत्र का उल्लंघन किया है. उनके मन में कानून के प्रति सम्मान नहीं है. इसलिए बेटियों को मुझे सौंपा जाए.
न्यायमूर्ति एस.एस. शिंदे व न्यायमूर्ति मनीष पीटले के खंडपीठ के समक्ष इस याचिका पर सुनवाई हुई. याचिका पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने पाया कि बड़ी बेटी की उम्र 17 साल और दूसरी बेटी की उम्र 15 साल है. वे यहां पढ़ाई भी कर रही है. पिता की माली स्थिति भी ठीक है. बेटियों से बातचीत में खंडपीठ ने महसूस किया कि भले ही उनका अधिकांश जीवन अमेरिका में बीता है पर अब वे पिता के साथ भारत में रहने के इच्छुक है. बेटियों ने साफ तौर पर कहा वे अपनी मां के साथ नहीं पिता के साथ रहना चाहती है. इस दौरान खंडपीठ को बताया गया कि अतीत में मां द्वारा किए गये अशिष्ट बर्ताव के चलते भी बेटियां मां के साथ रहने की इच्छुक नहीं है.

स्नेह बना रहे इसलिए मिल सकती है मां

मामले में जुडे सभी पहलुओं खास तौर से बेटियों के हित व उनकी उम्र को देखते हुए खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता बेटियों की मां है. सिर्फ इसलिए उन्हें बेटियों को नहीं सौंपा जा सकता. खंडपीठ ने कहा कि मां और बेटी का स्नेह बना रहे . इसलिए मां को बेटियों से मिलने का अधिकार देते है. इसलिए जब भी मां अमेरिका से आए तो उसके यहां रहने की व्यवस्था की जाए. बेटियों से मिलने की इजाजत दी जाए. ऑनलाईन तरीके से भी मां को बेटियों से मिलने की इजाजत होगी. इस तरह से खंडपीठ ने दोनों बेटियों की मां की याचिका को खारिज कर दिया और बेटियों की कस्टडी पिता को सौंप दी.

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