महाराष्ट्र

सरकार ने बदला निधि वितरण का फॉर्म्युला

पहले तीन माह में 20 फीसद व दिसंबर तक 70 फीसद निधि मिलेगी

* विविध विभागों के लिए वित्त विभाग ने जारी किया आदेश
मुंबई दि.13 – राज्य के विविध सरकारी विभागों को बजट में किए गए प्रावधान में से निधि वितरीत करने हेतु सरकार ने अब एक नया फॉर्म्युला तय किया है. जिसके मुताबिक आर्थिक वर्ष की पहली तिमाही यानि अप्रैल से जून 2023 की कालावधि के दौरान 20 फीसद निधि दी जाएगी. वहीं दिसंबर माह तक कुल प्रावधान में से 70 फीसद निधि आवंटित की जाएगी.
राज्य के उपमुख्यमंत्री व वित्त मंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विगत 9 मार्च को राज्य का बजट विधान मंडल अधिवेशन में पेश किया था. जिसके बाद अब वित्त विभाग में निधि वितरण को लेकर समिकरण तय किया है. जिससे संबंधित परिपत्र बुधवार को जारी किया गया है. जिसके मुताबिक अप्रैल से जून माह के दौरान 20 फीसद, जुलाई से सितंबर माह के दौरान 20 फीसद तथा अक्तूबर से दिसंबर माह के दौरान 30 फीसद निधि वितरीत की जाएगी. वहीं जनवरी से मार्च 2024 की अंतिम कालावधि में शेष 30 फीसद निधि के आवंटन व खर्च को लेकर इस परिपत्रक में कोई उल्लेख नहीं है.
राज्य की अनेकों अनुदानित संस्थाओं को राज्य सरकार द्बारा प्रतिवर्ष करोडों रुपयों के अनुदान वितरीत किए जाते है. ऐसे में अब अनुदान मंजूर करने से पहले संबंधित संस्थाओं से इससे पहले वितरीत किए गए अनुदान के खर्च का उपयोगिता प्रमाणपत्र संबंधित विभाग को लेने हेतु कहा गया है. साथ ही इससे पहले दिए गए अनुदान का हिसाब पूरा हुए बिना नया अनुदान नहीं देने की बात कहीं गई है. इसके अलावा लाभार्थी के बैंक खाते में अनुदान की राशि ऑनलाइन तरीके से जमा करना अनिवार्य रहने की बात भी कहीं गई है. साथ ही वित्त विभाग द्बारा कहा गया है कि, स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं व महामंडलों को अनुदान वितरीत करने से पहले इन संस्थाओं व महामंडलों की ओर राज्य सरकार की बकाया रहने वाली रकम की समीक्षा की जानी चाहिए और उसे वसूल करने के बाद ही शेष अनुदान वितरीत किया जाना चाहिए.

* खर्च नहीं किया, तो प्रावधान पर अंकुश
वर्ष 2023 के अंत में जिन विभागों के खर्च का प्रमाण 50 फीसद से कम रहेगा, ऐसे विभागों हेतु किए गए प्रावधानों को संशोधित बजट तैयार करते समय कम किया जाएगा. जिसकी पूरी जिम्मेदारी संबंधित प्रशासकीय विभाग पर रहेगी. ऐसा भी वित्त विभाग द्बारा स्पष्ट किया गया है.

* राज्य की आर्थिक परीस्थिति को देखते हुए इससे पहले भी कई बार बजटिय प्रावधानों में कटौति करने की भूमिका अपनाई गई थी. ऐसे में इस बार प्रत्यक्ष खर्च को देखते हुए होने वाली कटौती की ओर सभी का ध्यान लगा हुआ है.

* मुनगंटीवार की परंपरा कायम
सुधीर मुनगंटीवार के वित्तमंत्री रहते समय 17 अप्रैल 2015 को वित्त विभाग ने निर्णय लिया था कि, बजटिय प्रावधान की निधि का वितरण करते समय संबंधित विभाग के लिए वित्त विभाग की अलग से अनुमति लेने की जरुरत नहीं है. जिसके चलते प्रत्येक खर्च के लिए वित्त विभाग की अनुमति मांगने वाली पद्धती खत्म हो गई और विविध विभागों को वित्तीय अधिकार मिल गए. तत्कालीन वित्तमंत्री सुधीर मुनगंटीवार द्बारा शुरु की गई इस नई परंपरा को मौजूदा वित्तमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी तथावत रखा है.

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