महाराष्ट्र

प्रमोशन में रिजर्वेशन रद्द करने का निर्णय वापस लिया

ठाकरे सरकार का बड़ा फैसला

मुंबई/दि. 19 – ठाकरे सरकार ने प्रमोशन में रिजर्वेशन (reservation in promotion) रद्द करने का निर्णय वापस ले लिया गया है. प्रमोशन में रिजर्वेशन रद्द करने के निर्णय का काफी विरोध हुआ था. इस लगातार हो रहे विरोध को ध्यान में रखते हुए उपमुख्यमंत्री अजित पवार द्वारा एक मीटिंग बुलाई गई और उस निर्णय को वापस लेने का फैसला लिया गया. राज्य सरकार ने जीआर निकाल कर आरक्षण ना देते हुए सीनियोरिटी के आधार पर प्रमोशन देने का निर्णय लिया था. इस निर्णय पर राज्य सरकार से एक बहुत बड़ा वर्ग नाराज हो गया था. आखिर में राज्य सरकार ने प्रमोशन में रिजर्वेशन रद्द करने का निर्णय स्थगित कर दिया. यानी अब प्रमोशन में भी रिजर्वेशन मिला करेगा.

  • निराश थे कर्मचारी

प्रमोशन ना होने पर कर्मचारियों में निराशा थी. इसे देखकर प्रमोशन के लिए जितने भी खाली पद मौजूद थे, उन्हें जल्दी से भरे जाने का फैसला लिया गया था. यह फैसला दो महीने पहले लिया गया था. राज्य सरकार ने 25 मई 2004 की तारीख को आधार मानते हुए सीनियोरिटी के बेस पर प्रमोशन देने की घोषणा की थी. जहां तक बात प्रमोशन में आरक्षण की है तो इस पर राज्य सरकार ने अपने जीआर में कहा था कि इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट जो निर्णय देगा, सरकार उसका अनुसरण करेगी. यानी सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के मुताबिक पिछड़े वर्ग के संबंध में निर्णय लिया जाएगा. ऐसा राज्य सरकार ने अपने जीआर में कहा था.

  • सरकार में शामिल कांग्रेस भी विरोध में खड़ी नजर आई

लेकिन प्रमोशन में आरक्षण रद्द करने के राज्य सरकार के इस निर्णय पर जब चारों ओर से आलोचनाएं होने लगी. यहां तक कि सरकार में शामिल कांग्रेस पार्टी के नेता भी विरोध की भूमिका में आ गए. कांग्रेस नेता व राज्य के उर्जा मंत्री नितिन राउत ने प्रमोशन में रिजर्वेशन रद्द करने के निर्णय को वापस लेने की मांग की.

  • विरोध के आगे झुकी सरकार, वापस लिया 7 मई का जीआर

जानकारी मिली है कि अजित पवार के साथ मीटिंग में प्रमोशन में रिजर्वेशन रद्द करने के निर्णय पर कई सवाल किए गए थे और विवाद हुआ था. मंत्रिमंडल की उपसमिति में चर्चा किए बिना 7 मई को इस अहम मुद्दे पर जीआर क्यों निकाला गया, यह उपमुख्यमंत्री से पूछा गया. ऐसे में, अब सरकार ने यह फैसला लिया है कि वो 7 मई के दिन लाए गए जीआर को अमल में नहीं लाएगी. आगे के लिए इस विषय पर विधि और न्याय विभाग से भी राय लेने पर सरकार विचार कर रही है.

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