महाराष्ट्र

होम आयसोलेशन बंद करने के निर्णय पर होगा पुनर्विचार

फैसले का विरोध होने पर स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने ली दखल

मुंबई/दि.२६ – राज्य में इस वक्त जितने कोविड संक्रमित मरीज कोविड अस्पतालों में भरती है, उससे कहीं अधिक एसिम्टोमैटिक मरीज होम आयसोलेशन के तहत रखे गये है. वहीं विगत दिनों सरकार द्वारा होम आयसोलेशन को पूरी तरह से बंद करने का निर्देश राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे द्वारा दिया गया है. जिसे लेकर वैद्यकीय क्षेत्र सहित प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा नाराजगी व्यक्त की गई है. डॉक्टरों का कहना है कि, इस निर्णय का दोनों ओर से योग्य परिणाम नहीं होगा. ऐसे में इन प्रतिक्रियाओं को ध्यान में लेते हुए राज्य के जिन जिलों में साप्ताहिक पॉजीटिविटी दर राज्य की औसत दर से अधिक है, वहां के ग्रामीण क्षेत्रों में संस्थात्मक आयसोलेशन पर जोर देने का निर्देश प्रशासन को दिया गया है. साथ ही वहां होम आयसोलेशन की सुविधा भी शुरू रहेगी. ऐसा स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे द्वारा स्पष्ट किया गया है.
राज्य में ‘रेड झोन’ में रहनेवाले जिलों में होम आयसोलेशन बंद करते हुए संक्रमितों को कोविड केयर सेंटरा में भरती कराया जायेगा. इस हेतु सभी जिलों में कोविड केयर सेंटर की संख्या बढाने का भी निर्देश स्वास्थ्य मंत्री टोपे द्वारा जारी किया गया था. पश्चात पूरा दिन इस फैसले के खिलाफ डॉक्टरों एवं कोविड व्यवस्थापन में जूटे अधिकारियों में चर्चा शुरू थी. साथ ही डॉक्टरों ने इस निर्णय पर पुनर्विचार किये जाने की मांग की. आयएमए के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अविनाश भोंडवे ने कहा कि, कोविड की दूसरी लहर में इस समय मरीजोें की संख्या यद्यपि कम हो रही है, किंतु यदि अचानक ही मरीजों की संख्या में इजाफा होता है और एसिम्टोमैटिक मरीजों को भी इन्स्टिटयूशनल कोरोंटाईन में रखा जाता है, तो स्वास्थ्य महकमे व अस्पतालों की व्यवस्था पर अचानक ही बोझ बढ जायेगा. उस समय स्थिति को संभालना काफी मुश्किल होगा. वहीं सरकारी निर्णय की वजह से जिन मरीजों में किसी भी तरह के लक्षण नहीं है, और जो अपने इलाज के खर्च का वहन कर सकते है, ऐसे मरीज भी अस्पतालों में भरती होने का आग्रह करेंगे.
इसके साथ ही यह भी कहा गया कि, इस समय ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड संक्रमण टलने के बावजूद ग्रामीणों में अब तक कोविड टेस्ट अथवा टीकाकरण कराने की मानसिकता नहीं बनी है और उन्हें इसके लिए तैयार करने हेतु काफी मेहनत करनी पडती है. यद्यपि ग्रामीणों के घर छोटे होते है, किंतु इसके बावजूद वे कोविड केयर सेंटर में जाकर नहीं रहना चाहते. ऐसे में यदि होम आयसोलेशन की सुविधा को पूरी तरह से खत्म कर दिया जाता है, तो इन लोगों द्वारा कोविड टेस्ट कराने का प्रमाण भी कम हो सकता है. ऐसे में सभी बातों का विचार करने की जरूरत है. एक वरिष्ठ वैद्यकीय अधिकारी के मुताबिक किसी खास अस्पताल में बेड व रूम मिलने को लेकर राजनीतिक एवं वरिष्ठ क्षेत्र से कई लोगों का आग्रह होता है. जिसके परिणाम स्वरूप जरूरत नहीं रहने के बावजूद अस्पतालों में बेड घेरकर रखने का प्रमाण बढता है और यदि इसी दौरान मरीजों की संख्या बढती है, तो नियोजन को संभालना मुश्किल हो जायेगा.
कल दिनभर इस निर्णय के खिलाफ अलग-अलग स्तर पर चर्चा होने के बाद स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे द्वारा देर शाम यह घोषणा की गई कि, एसिम्टोमैटिक मरीजों के लिए होम आयसोलेशन की सुविधा जारी रहेगी.

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