पुणे/दि.९ – देश में इस बार बारिश की लुकाछुपी जारी रहने से बीजों की बिक्री 10 फीसदी से कम हुई है. साधारणतः धान उत्पादन खर्च से ज्यादा बासमती के उत्पादन के लिये काफी खर्च आता है. इसलिए इस बार धान की बुआई कम हुई है. जिसके चलते चावल के उत्पादन क्षेत्र में भी कमी आने की संभावना व्यापारियों व्दारा जताई जा रही है.
बता दें कि साधारण चावल के बीज से ज्यादा बासमती के बीज महंगे होते हैं. साधारण चावल के बीज जमीन में बोने पर तीन माह में चावल का उत्पादन होता है. वहीं बासमती चावल को चार महीने का अवधि लगता है. इस चावल की बुआई काफी सावधानीपूर्वक की जाती है. बासमती के दाम साधारण चावल से डेढ़गुना अथवा दो गुना नहीं मिलने पर किसान बासमती का उत्पादन कम करते हैं. यहीं वजह है कि किसानों ने इस बार बासमती की कम बुआई की है. बासमती बीज की बिक्री गत वर्ष से 10 फीसदी कम हुई है, जिससे उत्पादन में 8 से 10 फीसदी कमी आने की जानकारी दिल्ली के किसान पवन अग्रवाल ने दी है.
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सात राज्यों में बासमती चावल
देश के सात राज्यों के 95 जिलों में बासमती चावल बोया जाता है. इनमें पंजाब, हरियाणा, जम्मू,हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली और उत्तर प्रदेश का समावेश है.
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चावल के समर्थन मूल्य दर निर्धारित
सरकार ने चावल के न्यूनतम समर्थन मूल्य की दर 1886 से 1888 निर्धारित किये है. लेकिन बीते वर्ष में किसानों को बासमती के भाव 2000 से 2400 रुपए मिले हैं.
19 से 20 लाख हेक्टर पर
देश में बासमती का उत्पादन
50 से 60 क्विंटल
बासमती का उत्पादन प्रति हेक्टर
इस बार 10 प्रतिशत
बुआई का प्रमाण कम होगा
करीबन 30 हजार करोड़ रुपए
प्रति वर्ष बासमती का विश्वभर में निर्यात