महाराष्ट्र

श्रीमद्भगवद्गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने की मांग तेज

विश्व हिंदू परिषद ने कहा

मुंबई/दि. 30 – विश्व हिंदू परिषद ने देश में नैतिक मूल्यों के ह्रास को रोकने एवं कर्तव्य निर्वाह बोध को बढ़ावा देने के लिए पठन पाठन में सभी स्तरों पर श्रीमद्भगवद्गीता को अनिवार्य बनाने की गुरुवार को मांग की. विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय मंत्री एवं विश्व गीता संस्थान के संस्थापक राधा कृष्ण मनोड़ी ने संवाददाताओं से कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता की अलख जगाने के लिए विश्व गीता संस्थान घर-घर गीता पहुंचाने के लक्ष्य के साथ काम करेगा.
उन्होंने कहा कि समाज में पैंठ बनाती पाश्चात्य संस्कृति की कुरीतियों पर प्रहार करने के लिए गीता का देश के अंदर व्यापक प्रचार प्रसार जरूरी है. विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मंत्री ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ की संज्ञा देने की मांग को लेकर परिषद के विश्व गीता संस्थान का का एक शिष्टमंडल जल्द ही राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और शिक्षा मंत्री को ज्ञापन सौंपेगा.
मनोड़ी ने कहा कि सरकारी संस्थानों या नौकरशाहों में मूल्य वर्धन और कर्तव्य निर्वाह की भावना को संवर्धित करने के लिए गीता के सभी अध्यायों के एक तय अवधि में गीता पखवाड़ा के तहत आयोजन को प्रोत्साहित करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि हम श्रीमद्भगवद्गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ की संज्ञा देने और समाज के उत्थान में गीता की उपयोगिता को एक सशक्त संसाधन के रूप में प्रयोग करने की मांग करते हैं.

उन्होंने कहा कि शिक्षा में नैतिक मूल्यों का पतन वैश्विक पटल पर हमारी सुसंगठित बौद्धिक प्रतिभा का अपमान हैं, ऐसे में भारत में सभी शिक्षकों के लिए पठन-पाठन में श्रीमद भगवत गीता को अनिवार्य बनाया जाना चाहिए. मनोड़ी ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय सहित सभी शिक्षकों के प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में गीता को शामिल किया जाना चाहिए ताकि नैतिक मूल्यों को मजबूत किया जा सके.
महाभारत के युद्ध के समय जब अर्जुन युद्ध करने से मना करते हैं तब भगवान श्री कृष्ण उन्हें उपदेश देते है और कर्म और धर्म के सच्चे ज्ञान से अवगत कराते हैं. भगवान श्री कृष्ण के इन्हीं उपदेशों को श्रीमद्भगवद्गीता ग्रंथ में संकलित किया गया है. श्रीमद्भगवद्गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं.

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