महाराष्ट्र

11 को कौंडण्यपुर पालखी का पंढरी प्रस्थान

430 वर्षो की परंपरा

* अमरावती में होगा स्वागत, विठ्ठल देवस्थान द्बारा सम्मान
कुर्‍हा/दि.8आषाढी पंढरपुर यात्रा वारी के लिए तीर्थक्षेत्र कौंंडण्यपुर श्री विठ्ठल रूख्मिणी संस्थान की पैदल पालखी अगले सप्ताह 11 जून को प्रस्थान करेगी. पालखी को पंढरपुर संस्थान द्बारा सम्मान हासिल है. आगामी मंगलवार को दोपहर 3 बजे पालखी रवाना होगी.. उसका 14 जुलाई को पंढरपुर के रूख्मिणी मठ में पहुंचने का नियोजन है. 34 दिनों के प्रवास पश्चात पालखी 7 दिनों तक पंढरपुर में रूकेगी. 21 जुलाई को दोपहर 3 बजे वहां से कौंडण्यपुर हेतु रवाना होगी. 1594 से पंढरपुर जानेवाली प्रथम पैदल दिंडी और विदर्भ की एकमात्र मान की पालखी हैं.
* भव्य कार्यक्रम से प्रस्थान
पालखी को मंगलवार को भव्य कार्यक्रम, अनुष्ठान पश्चात रवाना किया जायेगी. वारकरी भक्त मंडल और क्षेत्र के लोग बडी संख्या में कौंडण्यपुर पधारेंगे. रूख्मिणी माता और 5 सतियों का कौंडण्यपुर पीयर है. प्रभु रामचंद्र जी की दादीजी अर्थात राजा दशरथ की माताजी हिन्दुमती, अगस्त ऋषि की पत्नी लोपामुद्रा, राजा भगीरथ की माता केशिनी, नल राजा की रानी दमयंती और चौरंगीनाथ का यह जन्म स्थान है. यह जानकारी देते हुए प्रबंधक प्रशांत गावंडे ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने यही के अंबिका माता मंदिर से देवी रूख्मिणी का हरण किया था. वशिष्ठा आज वर्धा नदी के तट पर यह तीर्थक्षेत्र है. यहां लगभग 450 वर्ष पहले श्री संत सदाराम महाराज हुए थे. उन्होंने ही 1594 में कौंडण्यपुर से पंढरपुर से वारी शुरू की थी. वह परम्परा आज कायम है. वारी का यह 430 वां वर्ष है. गावंडे ने वारी के लिए भक्तों से नाम दर्ज करने की विनती की है. पालखी का बुधवार को अमरावती में स्वागत होगा.

 

 

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