धनगड’ प्रमाणपत्र रद्द, शिंदे समिति ने सौंपी रिपोर्ट
धनगर समाज का आदिवासी आरक्षण देने का मुद्दा
मुंबई/दि.9-धनगर आरक्षण संदर्भ में नियुक्त सुधाकर शिंदे समिति ने सात राज्य के आरक्षण प्रक्रिया अभ्यास की रिपोर्ट राज्य सरकार को सोमवार को सौंपी. धनगर समाज को अनुसूचित जनजाति में आरक्षण देने के लिए सरकार पर दबाव बढा है. वहीं दूसरी ओर छत्रपति संभाजी नगर जिले में जारी धनगड प्रमाणपत्र आदिवासी विभाग के जाति पडताल समिति ने रद्द किया है. इस पृष्ठभूमि पर सकल धनगर समाज के सैकडों कार्यकर्ता कल होने वाली राज्य मंत्रिमंडल की बैठक स्थल पर आदिवासी आरक्षण की मांग को लेकर धमकेंगे.
भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी सुधाकर शिंदे ने अन्य पिछडा बहुजन कल्याण विभाग की सचिव वनिता वेद सिंघल को अभ्यास रिपोर्ट पेश की. अनुसूचित सूची में समावेश नहीं रहने वाली जाति को अनुसूचित जनजाति का प्रमाणपत्र अथवा अन्य लाभ देते समय अन्य राज्यों ने कौनसी प्रक्रिया अमल में लाई, इसका अभ्यास इस रिपोर्ट में है. महायुति सरकार ने सितंबर में इस संदर्भ में शिंदे समिति नियुक्त की थी. समिति ने सात राज्यों का दौरा कर अभ्यास रिपोर्ट तैयार की है. समिति के कुछ सदस्यों ने पहले ही व्यक्तिगत रिपोर्ट सरकार को पेश की है. औरंगावबाद जिले में खिल्लारे परिवार के सात सदस्यों ने धनगड जनजाति के प्रमाणपत्र हासिल किए थे. यह प्रमाणपत्र बोगस होकर इसे रद्द करने की मांग धनगर समाज के आंदोलकों की थी. लेकिन जाति पडताल समिति को जाति प्रमाणपत्र रद्द करने का अधिकार नहीं होता. आखिरकार मुख्यमंत्री के आदेश के बाद अधिकार दिया गया और धनगड प्रमाणपत्र रद्द किया गया है.
* राज्य में आंदोलन शुरु
-आदिवासी आरक्षण की मांग के लिए सकल धनगर समाज का राज्य में 22 दिन आंदोलन शुरु है. शिंदे समिति की रिपोर्ट और धनगड प्रमाणपत्र रद्द होने से आदिवासी आरक्षण मिलने की दिक्कतें दूर हो गई है.
-इसलिए अब महायुति सरकार ने कल होने वाले राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इस संबंध में निर्णय लें, ऐसी मांग सकल धनगर समावज के आंदोलन समन्वयक बिरू कोलेकर ने की है.
– कल होने वाली राज्य मंत्रिमंडल की बैठक स्थल पर सकल धनगर समाज के सैकडों कार्यकर्ता नई मुंबई से पदयात्रा करते हुए महायुति सरकार पर दबाव बढाने के लिए पहुंचेंगे.
* आदिवासी विधायकों की चेतावनी
सरकारी निर्णय निकालकर धनगर समाज को आदिवासी काव आरक्षण देंगे, ऐसा लिखित आश्वासन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने 15 दिन पहले दिया था. इस आश्वासन को आचार संहिता लगने से पूर्व पूरा किया जाए, यह मांग धनगर समाज की है. धनगर समाज का अनुसूचित जनजाति मे ंसमावेश करने की दृष्टि से महायुति सरकार कदम उठा रही है. इसलिए आदिवासी समाज में संतप्त प्रतिक्रिया व्यक्त हो रही है. महायुति सरकार ने आचार संहिता लागू होने से पूर्व धनगर समाज का अनुसूचित जनजाति में समावेश करने का निर्णय लिया तो इसकी कीमत महायुति को चुकानी पडेगी, यह चेतावनी आदिवासी विधायकों ने दी है.