अमरावतीमहाराष्ट्र

महाराष्ट्र दिन पर विदर्भ राज्य आंदोलन समिति का धरना आंदोलन

पृथक विदर्भ राज्य की मांग

अमरावती/दि.2-विदर्भ को महाराष्ट्र में शामिल करने के बाद पहले का औद्योगिकरण नष्ट किया गया. नए से औद्योगीकरण महाराष्ट्र ने विदर्भ में होने नहीं दिया. राज्य में यह जिम्मेदारी निभायी नहीं जा रही. इसलिए विदर्भ राज्य की मांग विदर्भ राज्य आंदोलन समिति द्वारा की गई. विदर्भ वसाहत समझकर जानबूझकर गरीबी और बेरोजगारी की खाई में धकेल दिया गया. विदर्भ के किसानों पर अन्याय, औद्योगीकरण का अभाव के कारण बेरोजगारी, कुपोषण की समस्या निर्माण हो गई है. कर्ज में डूबे महाराष्ट्र में रहकर विदर्भ का विकास होना असंभव है. इस पर एकही उपाय है पृथक विदर्भ. केंद्र सरकार ने विदर्भ राज्य की मांग की ओर अनदेखी करने से इसके दुष्परिणाम विदर्भ को भुगतना पड रहा है. इसलिए अनुच्छेद 3 नुसार विदर्भ का स्वतंत्र राज्य निर्माण करना और कर्ज के बोझ तले डूबे महाराष्ट्र से विदर्भ को मुक्त करने की मांग धरना आंदोलन के माध्यम से विदर्भ राज्य आंदोलन समिति ने केंद्र सरकार से की. आंदोलन की शुरुआत भारतरत्न बाबासाहेब आंबेडकर की प्रतिमा पर राज्य महिला आघाडी अध्यक्षा रंजना मामर्डे व पूर्व अध्यक्ष प्रा. डॉ.पी आर राजपूत की विशेष उपस्थिति में माल्यार्पण कर की गई. धरना आंदोलन में राजेंद्र आगरकर, प्रा. नामदेव बेलसरे, नारायण लाहोटी, प्रा प्रकाश लढ्ढा, अनुष्का बेलोरकर, सुषमा मुले ने मार्गदर्शन किया. इस समय अफसर भाई, सतीश प्रेमलवार, पद्मा राजपूत, संगीता देशमुख, अशोक हांडे, डॉ. विजय कुबडे, स्वप्निल वाकोडे, सुभाष परणकर, पांडुरंग बिजवे, बालकृष्ण राऊत, विनायक इंगोले, अरविंद राऊत, ज्ञानेश्वर डांगरकर, ज्ञानेश्वर गादे, सुधाकर फेटे, अजय बेले, दिनेश ढवस, अनिल कडू, दिवाकर राऊत, दिलीप वानखडे, रविकांत आढाऊ, साहेबराव इंगले, दीपक शंभरकर, दिलीप इंगले, अंकुश पांडे, पद्माकर धसकट, प्रा. सुभाष धोटे, देवीलाल जीभकाटे, सत्यप्रकाश गुप्ता, उषा चव्हाण, सहित अनेक कार्यकर्ता उपस्थित थे.

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