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क्या जीएसटी के सैकडों करोड मनपा ने वेतन में उडा दिए !

हर महीने 15 करोड 53 लाख मिला टैक्स

* दो वर्षो में बढ गया 16 करोड 24 लाख
* अनुदान के लिए अभी भी लगाई जा रही आस
अमरावती/दि. 7– महापालिका को प्रति माह 15 करोड 53 लाख रूपए सेवा व वस्तु कर के रूप में प्राप्त हो रहे हैं. किंतु कहते हैं कि यह राशि आस्थापना पर ही खर्च हो रही है. अर्थात कर्मचारियों की तनख्वाह, पुराने कर्मचारियों की पेंशन और अन्य खर्च पर दी जा रही है. जिसके कारण गत 4 वर्षो में 600 करोड का अतिरिक्त जीएसटी राजस्व भी मनपा की आर्थिक दिक्कत को दूर नहीं कर पा रहा है. एक अंदाज के अनुसार 2020 से 2024 दौरान महापालिका को 613.43 करोड राशि सेवा व वस्तु कर के रूप में प्राप्त हुई.
जकात, एलबीटी और अब जीएसटी …महानगरपालिका की आंखें चौडी करनेवाले और तब तक समयानुसार आर्थिक स्त्रोत जीएसटी सब्सिडी महानगरपालिका की आय की आय से अधिक है. इससे स्थानीय स्वशासन संस्थाएं वित्तीय रूप से व्यवहार्य हो जाएगी.् उम्मीद है कि मनपा की आय बढेगी तो वह और भी मजबूत होगी. लेकिन जब हम पिछले चार सालों में मनपा को मिली जीएसटी सब्सिडी पर नजर डालते हैं लगता है कि मनपा मजबूत होने के बजाय और भी कमजोर होती जा रही है. वर्ष 2020 से 2021 से 2023 से 2024 तक के चार वर्ष की अवधि में मनपा को राज्य सरकार से जीएसटी के रूप में लगभग 613 करोड 43 लाख रूपए प्राप्त हुए. इतनी बडी मात्रा में अनुदान प्राप्त करने के बाजवूद, मनपा को वित्तीय कठिनाईयों का सामना करना पड रहा है, क्योंकि यह सारा पैसा कर्मचारियों के वेतन पर खर्च हो रहा है.
मनपा की आय का मुख्य स्त्रोत जीएसटी है. साथ ही मनपा को संपत्ति कर, बाजार लाइसेंस विभाग और निर्माण परमिट में भी आय होती है. ऐसी उम्मीद थी कि, जीएसटी सब्सिडी से मनपा की वित्तीय स्थिति सुधरेगी. लेकिन, जीएसटी सब्सिडी आने से ये सारा पैसा कर्मचारियों के वेतन पर खर्च हो रहा है.
जकात दोगुनी वृध्दि
जकात कर 30 जून 2012 को बंद कर दिया गया था. उस समय नगरपालिका को 72 करोड रूपए का राजस्व प्राप्त हो रहा था. 1 जुलाई 2012 को एलबीटी के शुभारंभ के बाद , पहले वर्ष में इसे 90 करोड रूपए प्राप्त हुए. उसके बाद 30 जुलाई 2016 को एलबीटी बंद कर दिया गया. 1 जुलाई 2017 से जीएसटी लागू होने के बाद पहले वर्ष में, नगरपालिका को जीएसटी के माध्यम से 120 करोड रूपए की सब्सिडी मिली.
पिछले 4 वर्षो में 613. 43 करोड रूपए
राज्य सरकार ने मनपा को 2020-21 में 136.19 करोड रूपए 2021-22 में 147.96 करोड रूपए, 2022-23 में 156.72 करोड और इसके अगले वर्ष 2023 में 172.56 करोड रूपए आवंटित किए गये थे.
* 8 प्रतिशत बढोत्तरी
जीएसटी सब्सिडी में महापालिका को हर वर्ष 7-8 प्रतिशत की बढोत्तरी प्राप्त हुई है. जिससे लगभग हर माह साढे 15 करोड रूपए स्थानीय निकाय को मिले और जानकारों के अनुसार यह राशि आस्थापना पर खर्च की गई. आस्थापना अर्थात अधिकारियों और कर्मचारियों के वेतनमान तथा पेंशन एवं मनपा के रखरखाव में व्यय हुआ.

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