जिला बैंक के संचालक मंडल पर बैठक में झूठे प्रस्ताव रखने का आरोप
11 संचालकों ने अध्यक्ष व सीईओ के नाम भेजा पत्र

अमरावती/दि.5– विगत 30 अप्रैल को हुई जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक की बैठक में संचालक मंडल द्वारा झूठे प्रस्ताव पेश किए जाने का आरोप लगाते हुए बैंक के 11 संचालकों ने बैंक के अध्यक्ष व सीईओ के नाम पत्र भेजा है. जिसमें कहा गया है कि, संचालक मंडल की बैठक में की गई चर्चा का वृत्तांत न लेते हुए बहुमत नहीं रहने के बावजूद प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है. बबलू देशमुख गुट के 11 संचालकों द्वारा भेजे गए इस पत्र के जरिए इस समय बैंक की राजनीति में अच्छा-खासा हडकंप व्याप्त है.
बैंक की बैठक के सभाध्यक्ष सीईओ के नाम भेजे गए पत्र के जरिए बैंक में वित्तिय गडबडी का आरोप लगाते हुए विषय क्रमांक 2, 7, 24 व 40 पर आपत्ति जताई गई है तथा इन प्रस्तावों को नामंजूर कर अगले 8 दिन के भीतर दुबारा बैठक बुलाए जाने की मांग की गई है. इन 11 संचालकों द्वारा दिए गए पत्र के अनुसार 23 अक्तूबर 2024 की सभा में विषय क्रमांक 2 को लेकर कहा गया है कि, संचालक मंडल की सभा में फर्जी प्रोसिडिंग लिखते हुए प्रस्ताव को मंजूर करने की बात कही गई है और बैठक की कार्रवाई को विरोध होने के बावजूद इस प्रस्ताव को मंजूर किया गया. इसी तरह 1 अप्रैल 2025 की सभा में विषय क्रमांक 7 के जरिए संचालक मंडल ने समिति गठित किए जाने की बात कही थी. लेकिन प्रस्ताव में समिति गठित नहीं किए जाने की झूठी बात लिखकर प्रस्ताव को सर्वसम्मति से मंजूर किए जाने की बात लिखी गई है. इसी तरह विषय क्रमांक 24 को भी संचालकों द्वारा अनुमोदित नहीं किया गया था. परंतु इसे 11 संचालकों द्वारा अनुमोदित दर्शाया गया है. साथ ही इस विषय को लेकर चार्टर्ड अकाऊंटंट की टिप्पणी जोडी गई है. जिसे सीए द्वारा 27 दिसंबर 2024 को ई-मेल के जरिए किसी अन्य विषय के संदर्भ में राय के तौर पर भेजा गया था. परंतु उस विषय का प्रस्ताव लिया ही नहीं गया बल्कि उस टिप्पणी को अन्य प्रस्ताव के साथ जोडते हुए उस विषय को 11 संचालकों की मंजूरी रहने की बात दर्शायी गई. इसी तरह विषय क्रमांक 40 की प्रोसिडिंग में 11 संचालकों द्वारा विषय को नामंजूर किए जाने की बात साफ तौर पर लिखी गई है. लेकिन इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से मंजूर लिखा गया है. जो कि, पूरी तरह से गलत है.
बैंक के 11 संचालकों द्वारा अपने पत्र में साफ तौर पर आरोप लगाया गया है कि, बैंक के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष हमेशा गलत व झूठे प्रस्ताव लिखते है तथा सभागृह में संचालकों द्वारा व्यक्त किए जानेवाले विचारों को प्रोसिडिंग नहीं लिया जाता. बल्कि फर्जी समितियां बनाते हुए बैंक को करोडों रुपयों का वित्तिय नुकसान पहुंचाया जा रहा है. इसके साथ ही मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ को स्टे ऑर्डर हासिल रखनेवाले प्रकाश कालबांडे को इसकी जानकारी दिए जाने के बावजूद अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व सीईओ ने उन्हें बैठक की नोटिस नहीं दी. यह सीधे-सीधे हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना है. इसके साथ ही विषय क्रमांक 8 के तहत नाबार्ड के निरीक्षण में उजागर की गई खामियों को नहीं दर्शाया गया. जबकि नाबार्ड की निरीक्षण टीम ने संचालक मंडल की 27 फरवरी 2025 को हुई बैठक में ही इस विषय को रखते हुए अपनी रिपोर्ट पर 8 जून 2025 से पहले संचालक मंडल की बैठक का अनुमोदन प्राप्त कर अनुमोदित प्रस्ताव सहित अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने तथा सलंग्नित ई-मेल के जरिए सूचित करने हेतु कहा था.
इस पत्र के जरिए 11 संचालकों ने सभी मुद्दों के क्रियान्वयन की हर 15 दिन में जांच करने की शिफारिस की है और इस समिति में अध्यक्ष तौर पर वी. डब्ल्यू. जगताप व सदस्य के तौर पर आर. बी. गायगोले, एस. बी. गावंडे, एस. एन. भारसाकले, एस. बी. साबले व पी. बी. कालबांडे का समावेश किया गया है और समिति से बैंक के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष को दूर रखा गया है. 11 संचालकों द्वारा दिए गए पत्र के नुसार कार्यकारी समिति के गठन मामले को तत्काल संचालक मंडल की बैठक में उठाए जाने और कार्यकारी समिति का गठन होने तक मनमाने तरीके से बनाई गई कार्यकारी समिति की बैठक नहीं होने देने की मांग भी की गई है.